उत्तानपादासन
विधि:
१. पीठ के बल लेट जाये। हथेलियां भूमि की और, पैर सिधे, पंजे मिले हुऐ हों।
२. अब श्वास अन्दर भरकर पैरों को १ फुट तक धीरे-धीरे ऊपर उठायें। कुछ,समय तक इसी स्थिति मे बने रहें।
३. वापस आते समय धीरे-धीरे पैरों को नीचे भूमि पर टिकाये, ज़टके के साथ नहीं। कुछ विश्राम कर फिर यही क्रिया कीजिए। इसे ३-६ बार करना चाहिए।
४. जिनको कमर मे अधिक दर्द रहता हो। वे एक-एक पैर से क्रमशः इस अभ्यास को करें।
लाभ:
१. यह आसन आँतो को सबल एवं निरोग बनाता है तथा कब्ज, गैस, मोटापा आदि को दूर कर जठराग्नि को प्रदीप्त करता है।
२. नाभि का टलना,पेटदर्द,हदयरोग एवं श्वास रोग में भी लाभदायी है। कमरदर्द में विशेष लाभदायी है।
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