जब भी आप प्राणायाम करे आपकी रीढ़ की हड्डी सीधी होनी चाहिए। इसके लिए आप किसी भी ध्यानत्मक आसन में बैठ जाये। पद्मासन,सुखासन,वज्रासन, आदि। यदि आप किसी भी आसन में नहीं बैठ सकते तो कुर्सी पर भी प्राणायाम कर सकते है,परन्तु रीढ़ की हड्डी को सीधा रखे।
२. प्राणायाम के लिए सिद्दासन,वज्रासन,पद्मासन में बैठना आवशयक है। बैठने के लिए जिस आसान का प्रयोग करते है वह कम्बल या कुशाशन आदि।
३. श्वास सदा नासिका से ही लेना चाहिए। इस से श्वास फ़िल्टर होकर अंदर आता है।
४. प्राणायाम करते समय मन शांत एवं प्रसंन होना चाहिए। प्राणयाम से मन शांत एवं एकाग्र होता है।
५. प्राणायाम करने के लिए कम से कम चार-पांच घण्टे पूर्व भोजन कर लेना चाहिए। शरु में ५-१० मिनिट ही अभ्यास करे त्यारबाद धीरे-धीरे बढ़ाते हुए आधा से एक घण्टे तक करे। प्रात: पेट साफ करके ही प्राणायाम करे। कुछ दिन प्राणायाम करने कब्ज भी स्वत दूर हो जाता है।
६. गर्भवती महिला,भूख से पीड़ित यवम अजितेन्द्रिय पुरुष को प्राणायाम नहीं करना चाहिए। प्राणायाम करते हुए थकान का अनुबह्व हो तो दूसरा प्राणायाम करने से पहले ५-६ मिनिट विश्राम कर लेना चाहिए।
७. प्राणायाम में श्वास को जबरन नहीं रोकना चाहिए। प्राणायाम करने के लिए श्वास अन्दर लेना 'पूरक', श्वास को अन्दर रोककर रखना 'कुम्भक' ,श्वास को बहार फेंकना 'रेचक' और श्वास बाहर ही रोककर रखने को 'बाह्यकुम्भक' कहते है।
८. प्राणायाम का अर्थ सिर्फ पूरक,कुम्बक व् रेचक ही नहीं वरन,श्वास और प्राणो की गति को नियंत्रित और संतुलित करते हुए मन को भी स्थिर व् एकाग्र करने का अभ्यास करना है।
९. प्राणायाम करते समय मुख,आँख,नाक आदि अंगो पर किसी प्रकार का तनाव ना रखे। प्राणायाम का अभ्यास धीरे-धीरे बिना किसी उतावले ,धैर्य के साथ ,सावधानी से करे।
१०. प्राणयाम के बाद स्नान करना हो तो ५-२० मिनिट के बाद कर सकते हो।
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