आभ्यन्तरवृति प्रणायाम
विधि:
१. ध्यानात्मक आसन में बैठकर श्वास को बहार निकालकर पून: जितना भर सकते हैं, अन्दर भर लीजिये। छाती ऊपर उभरी हुई तथा पेट का निचे वाला भाग भीतर सिकुड़ा हुवा होगा। श्वास अंदर भर कर जालंधर बंध व् मूलबन्ध लगाए।
२. यथाशक्ति श्वास को अंदर रोककर रखिये। जब छोड़ने की इच्छा हो तब जालंधर बन्ध को हटाकर धीरे-धीरे श्वास को बाहर निकाल दीजिये।
लाभ:
दमा के रोगियो के एवं फेफड़ा सम्बन्धि के लिये अत्यंत लाभदाई है।शरीर में शक्ति,कान्ति की वृद्धि करता है।
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