br />
<<<<<<<>>>>>>
2 रक्त-विकार शान्त करतीहै।
3 त्वचाऔरछूतकेरोगनहींहोनेदेती।
4 तुलसीकीकंठीमालाकंठरोगोंसेबचातीहै।
5 कामोत्तेजना नहींहोनेदेती, नपुंसकभीनहींबनाती।
6 तुलसी-दल चबाने वालेकेदांतोंकोकीड़ानहींलगता।
7 तुलसीकेसेवककोक्रोधकमआताहै।
8 तुलसीकीमाला, कंठी, गजराऔरकरधनीपहननाशरीरकोनिर्मल, रोगमुक्त औरसात्विक बनाताहै।
9 कार्तिक महीनेमेंजोतुलसीकासेवनकरताहै, उसेसालभरतकडॉक्टर-वैद्य, हकीम केपासजानेकीजरूरतनहींपड़तीं।
10 तुलसीकोअंधेरेमेंतोड़नेसेशरीरमेंविकारआसकतेहैंक्योंकि अंधकारमेंइसकीविद्युत लहरेंप्रखरहोजातीहैं।
11 तुलसीकासेवनकरनेकेबाददूधनपीएं।इससेचर्म-रोग हो सकतेहैं।
12 कार्तिक महीनेमेंयदितुलसी-दल या तुलसी-रस ले चुकेंहोंतोउसकेबादपाननखाएं।येदोनोंगर्महैंऔरकार्तिक मेंरक्त-संचार भी प्रबलता सेहोताहै, इसलिएतुलसीकेबादपानखानेसेपरेशानी मेंपड़सकतेहैं।
13 तुलसी-दल के जलसेस्नानकरकेकोढ़नहींहोता।
14 सूर्य-चन्द्र ग्रहण केदौरानअन्न-सब्जी में तुलसी-दल इसलिए रखाजाताहैकिसौरमण्डल कीविनाशकगैसोंसेखाद्यान्न दूषितनहो।
15 जीरेकेस्थानपरपुलावआदिमेंतुलसीरसकेछींटेदेनेसेपौष्टिकता औरमहकमेंदसगुनावृद्धिहोजातीहै।
16 तेजपातकीजगहशाक-सब्जी आदि मेंतुलसी-दल डालने सेमुखड़ेपरआभा, आंखोंमेंरोशनीऔरवाणीमेंतेजस्विता आतीहै।
17 तेल, साबुन, क्रीमऔरउबटनमेंतुलसी, दलऔरतुलसीरसकाउपयोग, तन-बदन को निरोग, सुवासित, चैतन्यऔरकांतिमय बनाताहै।
18 स्वभावमेंसात्विकता लानेवालाकेवलयहीपौधाहै।
19 तुलसीकेवलशाखा-पत्तों का ढेरनहीं, आध्यात्मिक शक्तिकाप्रतीकहै।
20 तुलसीकेआगेखड़ेहोकरपढ़ने, विचारने दीपजलानेऔरपौधेकीपरिक्रमा करनेसेदसोंइन्द्रियों केविकारदूरहोकरमानसिकचेतनामिलतीहै।
सामान्य ज्वर:-
गर्मीयाधूपमेंअधिकघूमना, थकावट, पेटमेंदर्द, सर्दी-गर्मी के प्रभावसेयहरोगहोसकताहै।
* दोग्रामतुलसीपत्ते, दोग्रामअजवायनपीसकरपचासग्रामपानीमेंघोलकरपिलादें।सुबह-शाम पिलाएं।
मौसमीबुखार, बदहजमी, पेटकेविकार, कब्जलूलगनेआदिविकारों सेग्रस्तरोगियों काखूनजबमच्छरों द्वाराफैलताहैतोअच्छे-अच्छों को चारपाईपरपटकदेताहै।इसीकोमलेरिया कहतेहैं।
यदिजुकामकेसाथबुखारभीहोतोचायकेअलावातुलसीकेपत्तोंकारसनिकालकर उसमेंशहदमिलाकरदिनमेंचारबारसेवनकरें।जुकामकेकारणहोनेवालाज्वरशान्तहोजाएगा।
तुलसी के कईनामहैंजोइसकेगुणोंकाइतिहासबतातेहैं।वेदों, औषधि-विज्ञान के ग्रंथों औरपुराणों मेंइसकेकुछप्रमुखनाम-गुण इस प्रकारहैं-
* कायस्था--क्योंकि यहकायाकोस्थिररखतीहै।
* तीव्रा--क्योंकि यह तीव्रता सेअसरकरतीहै।* देव-दुन्दुभि--इसमें देव-गुणोंकानिवासहोताहै।* दैत्यघि- -रोग-रूपी दैत्यों कासंहारकरतीहै।* पावनी- -मन, वाणीऔरकर्मसेपवित्रकरतीहै।* पूतपत्री- -इसकेपत्र(पत्ते) पूत(पवित्र) करदेतेहैं।* सरला-- हरकोईआसानीसेप्राप्त करसकताहै।* सुभगा- -महिलाओं केयौनांगनिर्मल-पुष्ट बनाती है।* सुरसा-- यहअपनेरस(लालारस) सेग्रन्थियों कोसचेतनकरतीहै।<<<<<<<>>>>>>
2 रक्त-विकार शान्त करतीहै।
3 त्वचाऔरछूतकेरोगनहींहोनेदेती।
4 तुलसीकीकंठीमालाकंठरोगोंसेबचातीहै।
5 कामोत्तेजना नहींहोनेदेती, नपुंसकभीनहींबनाती।
6 तुलसी-दल चबाने वालेकेदांतोंकोकीड़ानहींलगता।
7 तुलसीकेसेवककोक्रोधकमआताहै।
8 तुलसीकीमाला, कंठी, गजराऔरकरधनीपहननाशरीरकोनिर्मल, रोगमुक्त औरसात्विक बनाताहै।
9 कार्तिक महीनेमेंजोतुलसीकासेवनकरताहै, उसेसालभरतकडॉक्टर-वैद्य, हकीम केपासजानेकीजरूरतनहींपड़तीं।
10 तुलसीकोअंधेरेमेंतोड़नेसेशरीरमेंविकारआसकतेहैंक्योंकि अंधकारमेंइसकीविद्युत लहरेंप्रखरहोजातीहैं।
11 तुलसीकासेवनकरनेकेबाददूधनपीएं।इससेचर्म-रोग हो सकतेहैं।
12 कार्तिक महीनेमेंयदितुलसी-दल या तुलसी-रस ले चुकेंहोंतोउसकेबादपाननखाएं।येदोनोंगर्महैंऔरकार्तिक मेंरक्त-संचार भी प्रबलता सेहोताहै, इसलिएतुलसीकेबादपानखानेसेपरेशानी मेंपड़सकतेहैं।
13 तुलसी-दल के जलसेस्नानकरकेकोढ़नहींहोता।
14 सूर्य-चन्द्र ग्रहण केदौरानअन्न-सब्जी में तुलसी-दल इसलिए रखाजाताहैकिसौरमण्डल कीविनाशकगैसोंसेखाद्यान्न दूषितनहो।
15 जीरेकेस्थानपरपुलावआदिमेंतुलसीरसकेछींटेदेनेसेपौष्टिकता औरमहकमेंदसगुनावृद्धिहोजातीहै।
16 तेजपातकीजगहशाक-सब्जी आदि मेंतुलसी-दल डालने सेमुखड़ेपरआभा, आंखोंमेंरोशनीऔरवाणीमेंतेजस्विता आतीहै।
17 तेल, साबुन, क्रीमऔरउबटनमेंतुलसी, दलऔरतुलसीरसकाउपयोग, तन-बदन को निरोग, सुवासित, चैतन्यऔरकांतिमय बनाताहै।
18 स्वभावमेंसात्विकता लानेवालाकेवलयहीपौधाहै।
19 तुलसीकेवलशाखा-पत्तों का ढेरनहीं, आध्यात्मिक शक्तिकाप्रतीकहै।
20 तुलसीकेआगेखड़ेहोकरपढ़ने, विचारने दीपजलानेऔरपौधेकीपरिक्रमा करनेसेदसोंइन्द्रियों केविकारदूरहोकरमानसिकचेतनामिलतीहै।
सामान्य ज्वर:-
गर्मीयाधूपमेंअधिकघूमना, थकावट, पेटमेंदर्द, सर्दी-गर्मी के प्रभावसेयहरोगहोसकताहै।
* दोग्रामतुलसीपत्ते, दोग्रामअजवायनपीसकरपचासग्रामपानीमेंघोलकरपिलादें।सुबह-शाम पिलाएं।
मौसमीबुखार, बदहजमी, पेटकेविकार, कब्जलूलगनेआदिविकारों सेग्रस्तरोगियों काखूनजबमच्छरों द्वाराफैलताहैतोअच्छे-अच्छों को चारपाईपरपटकदेताहै।इसीकोमलेरिया कहतेहैं।
यदिजुकामकेसाथबुखारभीहोतोचायकेअलावातुलसीकेपत्तोंकारसनिकालकर उसमेंशहदमिलाकरदिनमेंचारबारसेवनकरें।जुकामकेकारणहोनेवालाज्वरशान्तहोजाएगा।
शोभा, सुगन्धि औरपवित्रता कीप्रतीकहैये---
तुलसी का पौधाजिसआंगनमेंलहलहाता है, उसकीशोभाऔरसुगन्धि मेंपवित्रता होतीहै।महिलाएं अपनाचरित्रतुलसी-जैसा बनाने मेंहीअपनाजीवनसार्थकमानतीहैं।
इसीलिए विनम्र भावसेवेकहतीहैं- ‘‘मैंतुलसीतेरेआंगनकी।’’
तुलसी का माहात्म्य:--
1 यहमनमेंबुरेविचारनहींआनेदेती।
* बुखारकाहमलामनुष्यपरकभीभीहोसकताहै।मौसमबदलनाशुरूहुआनहींकिबुखारनेआघेरा।मच्छरों काआक्रमणभीमलेरिया जैसेजानलेवा बुखारकोआमिन्त्रत करदेताहै।ऐसेमेंआवश्यकता होतीहैउचितइलाजऔरसटीकजानकारी की, जोइसअध्यायमेंदीजारहीहै।
* इसमेंशरीरकातापमान102-103 डिग्रीहोजाताहै।बेचैनी, शरीरमेंदर्द, प्यासकाअधिकलगना, सिर-हाथ-पैरों मेंपीड़ा।
उपचार:-
* दसतुलसीकेपत्ते, बीसकालीमिर्च, पांचलौंग, थोड़ी-सी सोंठ पीसकरढाईसौमिलीलीटर पानीमेंउबाललेंऔरशक्करमिलाकररोगीकोपिलादें।अगररोगीकोज्वरकेकारणघबराहटमहसूसहोतीहोतोतुलसीकेरसमेंशक्करडालकरशरबतबनालेंऔररोगीकोपिलादें।शीघ्रआराममिलताहै।
मौसमी बुखार:-
* बरसातयामौसमबदलनेसेरक्तसंचारपरभला-बुरा असर पड़ताहीहैऔरज्वरकेरूपमेंहमारेअंदरघंटीबजादेताहै।
उपचार:-
* तुलसीकीदसग्रामजड़लेकरपानीमेंउबालिएऔरपीजाइएदो-तीन दिन सुबह-शाम इस उपचारसेरक्त-साफ स्वच्छ होजाएगा।
पुराना बुखार:-
* पुरानाबुखारहोतोफेफड़ेकमजोरहोनेलगतेहैं, खांसीउठतीरहतीहै, छातीमेंदर्दभीहोताहै।
उपचार:-
तुलसी रस मेंमिश्रीघोलकरतीन-तीन घंटे बादतीनदिनतकपिलाए।ज्वरभीउतरजाएगाऔरखांसीवदर्दभीजातेरहेंगे।
सर्दी बुखार:-
उपचार:-
* पांचतुलसी-दल और पांचकालीमिर्चपानीमेंपीसकरपिलाएं। तुलसी-मिर्च का वहचूर्णढाईसौग्रामपानीमेंउबालकरपिलानेसेतुरन्तअसरहोताहै।आधे-आधे घंटे बाददोबडे़चम्मचपिलातेरहनेसेनिश्चित लाभहोताहै।
खांसी बुखार:-
उपचार:-
* दसग्रामतुलसी-रस, बीस ग्रामशहदऔरपांचग्रामअदरककारसमिलाकरएकबड़ाचम्मचभरकरपिलादें।अद्भुतयोगहै, आजमाकरदेखलें।
* ग्यारहपत्तेतुलसीऔरग्यारहदानेकालीमिर्च, दोनोंकोपानीमेंपीसकरछानलें।इधरआगपरमिट्टीकाखालीसकोरापकाकरलालकरदेंऔरउसमेंतुलसीकालीमिर्चकाघोलछौंकदें।यहघोलगुनगुना रहजानेपरकालानमकमिलाकरपिलादें।खांसीबुखारसमूलनिकलभागेंगे।
मलेरिया:-
* इसकेलक्षणहैं-ठंड लगकर बुखारआना, कंपकपीलगना, शरीरमेंदर्द, घबराहट, भोजनमेंअरुचि, आंखोंमेंलाली, मुंहसूखजाना।
उपचार:-
* तुलसीकारस, मंजरी, तुलसी-माला, तुलसी केपौधेऔरतुलसी-बीज मलेरिया कोकाटकरफेंकदेतेहैं।तुलसी-रस दस ग्रामऔरपिसीकालीमिर्चएकग्राममिलाकररोगीकोदिनमेंपांच-छह बार दो-दो घंटे बादपिलातेरहें।परेशानी सेबचनाचाहेंतोतुलसीकेदोसौग्रामरसमेंसौग्रामकालीमिर्चमिलाकररखदें।सुबह-दोपहर-शाम एक-एक चम्मच पिलाएं।
पुराना मलेरिया:-
उपचार:-
* साततुलसी-दल और सातकालीमिर्चदोनोंदाढ़केनीचेरखकरचूसतेरहेंदिनमेंतीन-चार बार यहीप्रक्रिया दोहराने सेमहीनोंपुरानामलेरिया भीभागजाएगा।
लगातार बुखार रहना:-
उपचार:-
* जलकुम्भी केफूल, कालीमिर्चऔरतुलसी-दल, तीनों समानमात्रामेंलेकरकाढ़ाबनालेंऔरप्रातः-सायं पिलाएं।
* तुलसी-दल दस ग्रामलेकरपांचदानेकालीमिर्चकेसाथघोटलेंऔरदिनमेंतीनबारसेवनकराएं।आन्तरिक सफाईहोतेहीबुखारकानामोनिशान भीनहींरहेगा।
सन्निपात:-
उपचार:-
* ज्वरइतनेजोरकाबढ़जाएकिआदमीबड़बड़ाने लगे, ऐसीस्थितिमेंतुलसी, बेल(बिल्व) औरपीपलकेपत्तोंकाकाढ़ाउबालें। जबपानीढाई-तीन सौ ग्रामबचजाएतोशीशीमेंभरलें।दस-दस ग्राम दो-दो घंटे बादरोगीकापिलातेरहें।निश्चित हीलाभहोगा।
लू लगना:-
उपचार:-
* एकचम्मचतुलसी-रस में देशीशक्करमिलाकरएक-एक घंटे बाददेतेरहें।यहनसमझेंकितुलसी-रस गर्म होनेसेहानिपहुंचाएगा। संजीवनी शक्तिजिसकन्दमूल मेंभीहोगी, वहगर्महीहोगा।आरामआनेकेबादभीधूपमेंनिकलनाहोतोतुलसीरसमेंनमकमिलाकरपीएंइससेलूलगनेकीआशंकाहीनहींरहेगी।प्यासभीकमलगेगीऔरचक्करभीनहींआएंगे।
टूटा-टूटा बदन:-
* उपचार-तुलसी दल कीचायबनाकरपीएंआपकेबदनमेंताजगीकीलहरेंदौड़नेलगेंगी। घरमेंअगरचायकीपत्तीकीजगहतुलसीदलसुखाकररखलेंतोकफ, सर्दी, जुकाम, थकानऔरबुखारयासिर-दर्द पास भीनहींफटकेंगे।
श्वसन संस्थान केरोग:-
* प्रदूषण केसाथहीदिनचर्या वखानपानकाअव्यवस्थित होनामुख्यरूपसेफेफड़ों सेसंबंधित रोगोंकेकारणहै।बिनाकिसीपूर्वयोजनाकेबनेफ्लैट्स औरमकानोंमेंखुलीहवाकेनहोनेसेभीफेफड़ेरोगग्रस्त होतेहैं।
जुकाम:-
* इसकेलक्षणहैं: नाकमेंखुश्कीयाश्लेष्मा अधिकबहना, खांसीकेसाथकफकानिकलना, कानबंदहोजाना, छींकआना, आंखोंसेपानीआना, सिरदर्द। यहऋतुकेबदलने, अत्यधिक ठण्डेपेयपदार्थों केप्रयोग, पानीमेंभीगने, अत्यधिक मदिरापान, धूम्रपान तम्बाकू-गुटखेकासेवनकरनेसेहोजाताहै।
उपचार:-
* छोटीइलायचीकेकुलदोदानेऔरएकग्रामतुलसीबौर(मंजरी) डालकरकाढ़ाबनाएंऔरचायकीतरहदूध-चीनी डालकर पिलादें।दिनमेंचार-पांच बार भीपिलादेंगेतोखुश्कीनहींकरेगी, मगरसर्दी-जुकाम को जड़सेहीगायबकरदेगी।
* तुलसीकेपत्तेछःग्रामसोंठऔरछोटीइलायचीछः-छः ग्राम, दालचीनी एकग्रामपीसकरचायकीतरहउबाललें।थोड़ी-सी शक्कर डाललें।दिनमेंइसचायकाचारबारबनाकरपीएं।कुछखाएंनहींजुकामकैसाभीहोठीकहोजाएगा।
* दालचीनीं, सोंठऔरछोटीइलायची, कुलएकग्राम, तुलसी-दल, छह ग्राम, इन्हेंपीसकरचायबनाएंऔरपीएं।दिनमेंऐसीचायचारबारभीलेसकतेहैं।उसरातपेटभरकरखानानखाएं।अगलीसुबहआरामआजाएगा।
शीघ्र पतन एवंवीर्यकीकमी:-
* तुलसीकेबीज5 ग्रामरोजानारातकोगर्मदूधकेसाथलेनेसेसमस्यादूरहोतीहै
नपुंसकता:--
* तुलसीकेबीज5 ग्रामरोजानारातकोगर्मदूधकेसाथलेनेसेनपुंसकता दूरहोतीहैऔरयौन-शक्ति में बढोतरिहोतीहै।
मासिक धर्म मेंअनियमियता:-
* जिसदिनमासिकआएउसदिनसेजबतकमासिकरहेउसदिनतकतुलसीकेबीज5-5 ग्रामसुबहऔरशामपानीयादूधकेसाथलेनेसेमासिककीसमस्याठीकहोतीहैऔरजिनमहिलाओकोगर्भधारण मेंसमस्याहैवोभीठीकहोतीहै
* तुलसी के पत्ते गर्म तासीर के होते है पर सब्जा शीतल होता है . इसे फालूदा में इस्तेमाल किया जाता है . इसे भिगाने से यह जेली की तरह फुल जाता है . इसे हम दूध या लस्सी के साथ थोड़ी देशी गुलाब की पंखुड़ियां दाल कर ले तो गर्मी में बहुत ठंडक देता है .इसके अलावा यह पाचन सम्बन्धी गड़बड़ी को भी दूर करता है .यह पित्त घटाता है ये त्रीदोषनाशक , क्षुधावर्धक है
No comments:
Post a Comment