तैलकन्द नाम का कमलकन्द के समान प्रसिद्ध कन्द है ।
इसके पत्ते कमल जैसे होते हैं । इस कन्द से सदा तेल चूता रहता है । पानी में दस हाथ की दूरी तक ये तेल फ़ैला रहता है ।
इसके नीचे हमेशा एक महाविषधर रहता है ।
--इस कन्द की पहचान ये है कि इसमें लोहे की सुई प्रविष्ट करायें तो सुई तुरन्त घुल जाती है ।
--इस कन्द को लाकर तीन बार शुद्ध पारे के साथ खरल में पीसो । फ़िर इसका तेल मिला दो । फ़िर मूसा में रखकर बांस के कोंपलो की आग में तपाओ । ऐसा करने से पारा मर जाता है । और उसमें लक्ष वेधी गुण आ जाते हैं । अर्थात साधारण धातु के एक लाख भाग और ऐसे पारे का एक भाग हो । इसको खाने से भूख और नींद पर विजय प्राप्त हो जाती है ।
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