गर्भाशय में और स्तनों में रसोली या गांठ
महिलाओं को आजकल बहुत कैंसर है गर्भाशय में गर्वशय में, स्तनों में और ये काफी तेजी से बड़ रहा है... गांठ होती है फिर कैंसर में तब्दील हो जाता है। तो माताओं को बहनों को क्या करना चाहिए जिससे जिन्दगी में कभी गांठ ना बने? आपके लिए सबसे अच्छा उपाय है की जैसे ही आपको आपके शरीर के किसी भी हिस्से में रसोली या गांठ का पता चले तो जल्द ही आप सावधान हो जाइये। हॉंलाकि सभी गांठ और सभी रसोली कैंसर नही होती है 2-3% ही कैंसर में तब्दील होती है लेकिन आपको सावधान होना तो पड़ेगा। माताओं को अगर कहीं भी गांठ या रसोली हो गयी जो non-cancerous है तो जल्दी से जल्दी इसे गलाना और घोल देने का दुनिया में सबसे अच्छी दावा है "चुना"। चुना वह जो पान में खाया जाता है, जो पोताई में इस्तेमाल होता है; पानवाले की दुकान से चुना ले आइये उस चुने को कनक के दाने के बराबर रोज खाइये; इसको खाने का तरीका है पानी में घोल के पानी पी लीजिये, दही में घोल के दही पी लीजिये, लस्सी में घोल के लस्सी पी लीजिये, डाल में मिला कर दाल खा लीजिये, सब्जी में डाल के सब्जी खा लीजिये। पर ध्यान रहे पथरी के रोगी के लिए चुना बर्जित
है।
और आप साथ में ये इलाज भी करे।
हल्दी कैंसर ठीक करने की ताकत रखता है। हल्दी में एक केमिकल है उसका नाम है कर्कुमिन (Carcumin) और ये ही कैंसर कोशिकायों को मार सकता है। बाकि कोई केमिकल बना नहीं दुनिया में और ये भी आदमी ने नहीं भगवान ने बनाया है। हल्दी जैसा ही कर्कुमिन और एक चीज में है वो है देशी गाय के मूत्र में। गोमूत्र माने देशी गाय के शरीर से निकला हुआ सीधा सीधा मूत्र जिसे सूती के आट परत की कपड़ों से छान कर लिया गया हो। तो देशी गाय का मूत्र अगर आपको मिल जाये और हल्दी आपके पास हो तो आप कैंसर का इलाज आसानी से कर पायेंगे। अब देशी गाय का मूत्र आधा कप और आधा चम्मच हल्दी दोनों मिलाके गरम करना जिससे उबाल आ जाये फिर उसको ठंडा कर लेना। सामान्य तापमान में आने के बाद रोगी को चाय की तरह पिलाना है... चुस्किया ले ले के सिप कर कर।
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