विधिः
अनामिका और अंगुष्ठ के अग्रभागो को मिलाकर रखने तथा शेष तीन अँगुलियों को सीधा करने से यह मुद्रा बनती है।
लाभ : निरन्तर अभ्यास से शारीरिक दुर्बलता,भार की अल्पता तथा मोटापा रोग दूर होते है। यह मुद्रा पाचन शक्ति को ठीक करती है और विटामिन की कमी दूर करती है। शरीर में स्फूर्ति एवं तेजस्विता आती है।
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