विधिः
अपानमुद्रा तथा वायु मुद्रा को एक साथ मिलाकर करने से यह मुद्रा बनती है। कनिष्ठा अंगुली सीधी होती है।
लाभ:
हदय एवं वात रोगो को दूर करके शरीर में आरोग्य को बढाती है। जिनको को दिल की बीमारी है , उन्हें इसे प्रतिदिन करना चाहिए। गैस की बीमारी को दूर करता है। सिरदर्द,दम एवं उच्च रक्तचाप में लाभ मिलता है।
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