विधिः
पीठ के बल सीधे भूमि पर लेट जाइए। दोनों पैरो में लगभग एक फुट का अन्तर हो तथा दोनों हाथो को भी जंघाओं से थोड़ी दूरी पर रखते हुए हाथों को ऊपर की और खोलकर रखें। आँखे बंध ,गर्दन सीधी ,पूरा शरीर तनाव रहित अवस्था में हो। धीरे-धीरे चार से पांच श्वास लम्बे भरें व् छोड़े।
लाभ:
मानसिक तनाव ,उचरक्तचाप, हदयरोग तथा अनिद्रा के लिए यह आसन लाभकारी है। स्नायु-दुर्बलता ,थकान दूर करता है। कोई भी आसन करते हुए बीच-बीच में शवासन करने से शरीर में थकान दूर हो जाती है।
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