Monday, July 27, 2015

गन्‍ने का रस पीने का लाभ :: Sugarcane juice benefit in Hindi



गन्‍ने का रस पीने का लाभ ::

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यह तो हम सब जानते हैं कि हमारे गांव में गन्‍ने से कई मिठास प्रदान करने वाले पदार्थ बनाये जाते हैं जैसे-गुड़, राब, शक्कर, खांड, बूरा, मिश्री। गन्‍ने में मिनरल, विटामिन और एंटीऑक्‍सीडेंट अधिक मात्रा में पाया जाता है।

● गन्‍ने का रस एक शीतल पेय पदार्थ है जो कि बड़ा ही टेस्‍टी लगता है। इसे पीने से कई तरह की बीमारियां जैसे, एनीमिया, जौण्डिस, हिचकी आदि ठीक हो जाते हैं। अम्लपित्त, रोगों में गन्ने का ताजा रस काफी फायदेमंद है।
● इसके अलावा बुखार होने पर गन्‍ने का सेवन करने से बुखार जल्दी उतर जाता है। एसीडिटी के कारण होने वाली जलन में भी गन्ने का रस लाभदायक होता है। गन्ने के रस का सेवन यदि नींबू के रस के साथ किया जाए तो पीलिया जल्दी ठीक हो जाता है।
● गन्ने के रस में ज्यादा बर्फ मिलाकर नहीं पीना चाहिए, सिर्फ रस पीना ज्यादा फायदेमंद है। 
ऐसे ही गन्‍ने के कई लाभ हैं....

1) पीलिया :-
पीलिया ठीक करने के लिये रोज दो गिलास गन्‍ने के रस में नींबू और नमक मिला कर पीना चाहिये।
2) संक्रमण :-
मूत्र पथ के संक्रमण, यौन संचारित रोगों और पेट में सूजन आदि गन्‍ने के रस से ठीक हो जाती है।
3) किडनी :-
पथरी तभी बनती है जब शरीर में पानी की कमी हो जाती है और लगातार पानी की कमी को पूरा करने से यह ठीक भी हो जाती है। इसे गायब करने के लिये रोज गन्‍ने का जसू पीजिये क्‍योंकिे यह स्‍टोन को तोड़ कर उसे घुला देता है।
4) मधुमेह
यदि आप डायबिटीज के शिकार हैं तो गन्‍ने का जूस पी सकते हैं क्‍योंकि यह ब्‍लड ग्‍लूकोज लेवल को बैलेंस कर के रखता है। इसमें बिल्‍कुल भी हानिकारक मिठास नहीं होती।
5) पोषण संबंधी लाभ
गन्‍ने में बहुत सा विटामिन और मिनरल पाया जाता है जो कि शरीर के लिये बहुत अच्‍छा माना जाता है। गन्ने के रस में फास्फोरस, लोहा, पोटेशियम, कैल्शियम और मैग्नीशियम अधिक मात्रा में पाया जाता है।
6) सर्दी, जुखाम और गले की खराश
यदि आप सोचते हैं कि गन्‍ने का रस मीठा होता है इसलिये यह सर्दी, जुखाम में पीने के लिये खराब है तो आप गलत हैं। यह सर्दी जुखाम को पल भर में सही कर देता है।
7) कैंसर
अल्‍कलाइन प्रकृति होने की वजह से यह कैंसर से सुरक्षा प्रदान करता है। विशेष रूप से प्रोस्‍ट्रेट , पेट, फेफड़े और स्तन कैंसर।
8) पानी की कमी पूरी करे
कई लोगों को ज्‍यादा पानी पीने की आदत नहीं होती जिससे उन्‍हें डीहाइड्रेशन हो जाता है। शरीर में पानी की कमी ना होने पाए इसके लिये गन्‍ने का रस पीजिये। गर्मियों में भी अपने शरीर को ठंडा रखने के लिये गन्‍ने का रस पीजिये।

मधुमेह रोगियों को कौन-कौन से फलों का सेवन करना चाहिये



मधुमेह रोगियों को कौन-कौन से फलों का सेवन करना चाहिये--

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१.कीवी खाने से ब्‍लड शुगर लेवल कम होता है।
२.काली जामुन मधुमेह रोगियो के लिये यह फल बहुत ही लाभकारी है। इसके बीजो़ को पीस कर खाने से मधुमेह कंट्रोल होता है।
३. अमरख यदि आप को मधुमेह है तो आप यह फल आराम से खा सकते हैं। पर यदि रोगी को डायबिटीज अपवृक्कता है तो उसे अमरख खाने से पहले डॉक्‍टर से पूछना चाहिये।
४.अमरूद में विटामिन ए और विटामिन सी के अलावा फाइबर भी होता है।
५.चैरी इसमें जीआई मूल्‍य 20 होता है जो कि बहुत कम माना जाता है। यह मधुमेह रोगियों के लिये बहुत ही स्‍वास्‍थ्‍य वर्धक मानी जाती है।
६.आड़ू इस फल में भी जीआई बहुत कम मात्रा में पाया जाता है और मधुमेह रोगियों के लिये अच्‍छा माना जाता है।
७. सेब सेब में एंटीऑक्‍सीडेंट होता है जो कोलेस्‍ट्रॉल लेवल को कम करता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढाता है।
८. अनानास इसमें एंटी बैक्‍टीरियल तत्‍व होने के साथ ही शरीर की सूजन कम करने की क्षमता होती है। यह शरीर को पूरी तरह से फायदा पहुंचाता है।
९. नाशपाती इसमें खूब सारा फाइबर और विटामिन पाया जाता है जो कि मधुमेह रोगियों के लिये फायदेमंद होता है।
१० . पपीता इसमें विटामिन और अन्‍य तरह के मिनरल होते हैं।
११ . अंजीर इसमें मौजूद रेशे मधुमेह रोगियों के शरीर में इंसुलिन के कार्य को बढावा देते हैं।
१२ . संतरा यह फल रोज खाने से विटामिन सी की मात्रा बढेगी और मधुमेह सही होगा।
१३ . तरबूज यदि इसे सही मात्रा में खाया जाए तो यह फल मधुमेह रोगियों के लिये अच्‍छा साबित होगा।
१४ . अंगूर अंगूर का सेवन मधुमेह के एक अहम कारक मेटाबोलिक सिंड्रोम के जोखिम से बचाता है। अंगूर शरीर में ग्लूकोज के स्तर को नियंत्रित करता है।
१५. अनार यह फल भी बढे हुए ब्‍लड शुगर लेवल को कम करने में असरदार है।
१६ . खरबूज इसमें ग्‍लाइसिमिक इंडेक्‍स ज्‍यादा होने के बावजूद भी फाइबर की मात्रा अच्‍छी होती है इसलिये यदि इसे सही मात्रा में खाया जाए तो अच्‍छा होगा।
१७. कटहल यह फल इंसुलिन लेवल को कम करता है क्‍योंकि इसमें विटामिन ए, सी, थायमिन, राइबोफ्लेविन, नियासिन, कैल्‍शियम, पौटैशियम, आयरन, मैग्‍नीशियम तथा अन्‍य पौष्टिक तत्‍व होते हैं।
१८ .आमला इस फल में विटामिन सी और फाइबर होता है जो‍ कि मधुमेह रोगी के लिये अच्‍छा माना जाता है।


घरेलू उपचार से अर्थराइटिस का इलाज




आर्थराइटिस


* दोनों तरह के आर्थराइटिस (Osteoarthritis और Rheumatoid arthritis) मे आप एक दावा का प्रयोग करे जिसका नाम है चूना ...! जी हाँ वो ही चुना जो आप पान मे खाते हो | ये आसानी से आपको पान की सभी दुकानों में मिल जाता है आप इसे गेहूं के दाने के बराबर चूना रोज सुबह खाली पेट एक कप दही मे मिलाके खाना चाहिए अगर बराबर दही न मिल सके तो दाल मे मिलाके ले ले अगर वो भी नही तो पानी मे मिलाके पीना लगातार तिन महीने तक, तो आर्थराइटिस ठीक हो जाती है | ध्यान रहे पानी पिने के समय हमेशा बैठ के पीना चाहिए नही तो ठीक होने मे समय लगेगा | अगर आपके हाथ या पैर के हड्डी मे खट खट आवाज आती हो तो वो भी चुने से ठीक हो जायेगा |

* दोनों तरह के आर्थराइटिस के लिए और एक अच्छी दावा है मेथी का दाना | एक छोटा चम्मच मेथी का दाना एक काच की गिलास मे गरम पानी ले के उसमे डालना, फिर उसको रात भर भिगो के रखना | सबेरे उठके पानी सिप- सिप करके पीना और मेथी का दाना चबाके खाना | तीन महीने तक लेने से आर्थराइटिस ठीक हो जाती है | यहाँ भी ध्यान रहे पानी पिने के समय हमेशा बैठ के पीना चाहिए नही तो ठीक होने मे समय लगेगा |
* ऐसे आर्थराइटिस के मरीज जो पूरी तरह बिस्तर पकड़ जुके है, चालीस साल से तकलीफ है या तीस साल से तकलीफ है, कोई कहेगा बीस साल से तकलीफ है, और ऐसी हालत हो सकती है के वे दो कदम भी न चल सके, हाथ भी नही हिला सकते है, लेटे रहते है बेड पे, करवट भी नही बदल सकते ऐसी अवस्था हो गयी है ....?
* ऐसे रोगियों के लिए एक बहुत अच्छी औषधि है जो इसीके लिए काम आती है | एक पेड़ होता है उसे हिंदी में हरसिंगार कहते है, संस्कृत पे पारिजात कहते है, बंगला में शिउली कहते है , उस पेड़ पर छोटे छोटे सफ़ेद फूल आते है, और फुल की डंडी नारंगी रंग की होती है, और उसमे खुसबू बहुत आती है, रात को फूल खिलते है और सुबह जमीन में गिर जाते है ।
* आप इस पेड़ के छह सात पत्ते तोड़ के पत्थर में पीस के चटनी बनाइये और एक ग्लास पानी में इतना गरम करो के पानी आधा हो जाये फिर इसको ठंडा करके रोज सुबह खाली पेट पिलाना है जिसको भी बीस तीस या चालीस साल पुराना आर्थराइटिस हो या जोड़ो का दर्द हो | यह उन सबके लिए अमृत की तरह काम करेगा | इसको तीन महिना लगातार देना है अगर पूरी तरह ठीक नही हुआ ...तो फिर 10-15 दिन का गैप देके फिर से तीन महीने देना है |

* अधिकतम केस मे जादा से जादा एक से ढेड महीने मे रोगी ठीक हो जाते है | आपको इसको हर रोज नया बना के पीना है | ये औषधि एक्सुसिव है और बहुत स्ट्रोंग औषधि है इसलिए अकेली ही देना चाहिये, इसके साथ कोई भी दूसरी दावा न दे नही तो तकलीफ होगी | इसमें भी ध्यान रहे पानी पिने के समय हमेशा बैठ के पीना चाहिए ....नही तो ठीक होने मे समय लगेगा | अगर पारिजात के पत्ते मिलने में परेशानी हो तो आप इसे नर्सरी से लाये और घर पे लगा ले आप का भला हो तो ये दूसरों के भी काम आएगा क्युकि ये परिजात के पेड को स्वर्ग की एक अनुपम धरोहर थी जो अब लुप्त हो रही है

बदहज़मी (Gastric Problem)




बदहज़मी (Gastric Problem):

अन्य प्रक्रियाओं की तरह पेट में गैस का बनना और बाहर निकल जाना भी एक सामान्य प्रक्रिया है।
कई बार पेट में गैस बनने की तीव्रता बढ़ जाती है और पेट के भीतर बनने वाली इस गैस के बाद पेट में तीव्र पीड़ा होने लगती है। अगर यह समस्या अकसर होने लगे तो यह गम्भीर बीमारी का रूप ले लेती है।
मानव शरीर में गैस्ट्रिक म्यूकोसा (Gastric Mucosa) के द्वारा हाइड्रोक्लोरिक एसिड बनता है जो मानव शरीर पर प्रभाव डालता है और गैस की समस्या से निजात दिलाता है। अगर हाइड्रोक्लोरिक एसिड सही प्रकार से नहीं बनता है तो भोजन भी सही से नहीं पच पाता है।
आधुनिक जीवन शैली ने इस समस्या को बढ़ावा दिया है। गैस्ट्रिक बीमारी का सीधा संबंध खानपान से है। जो लोग भोजन में चटपटा, तला, मिर्च मसालेदार, खट्टा, नींबू, संतरा आदि का सेवन अधिक करते हैं उन लोगों को यह समस्या जल्दी होती है।
इनके अलावा जो लोग चाय, काफी, चालकेट, शराब का अधिक सेवन करते हैं, वे भी इस रोग से ग्रसित हो जाते हैं। तनावग्रस्त रहने वाले लोगों को भी गैस की समस्या (Gastric Problem) अधिक होती है।

बदहज़मी के लक्षण


खट्टी डकारें आना,
खाना या खट्टा पानी (एसिड) मुंह में आ जाना,
गले से खरखराहट महसूस होना और सांस फूलने की भी शिकायत होना,
छाती के निचले भाग में दर्द का महसूस होना और उलटी करने का मन करना,
स्वभाव में चिड़चिड़ापन आ जाना,

सामान्य उपचार

गैस की बीमारी में उपचार के साथ अपनी जीवनशैली में बदलाव लाकर इससे छुटकारा पाया जा सकता है।
गैस्ट्रिक रोगियों को बचाव के लिये कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए ताकि रोग ज्यादा न बढ़ पाये।
दिन भर में मुख्य आहार 2 बार के स्थान पर 3-4 बार थोड़ी मात्रा में करें।
तनाव न लें और जल्दबाजी से बचें, गुस्से पर काबू रखें।


क्या लाल मिर्च 1 मिनट में रोक सकती है हार्ट अटैक !, Red pepper can prevent heart attacks in 1 minute!




क्या लाल मिर्च 1 मिनट में रोक सकती है हार्ट अटैक !

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एक प्रसिद्ध हर्बल उपायों से चिकित्सा करने वाले डॉक्टर ने माना है उनके 35 साल के लंबे करियर में उनके पास आए सभी हार्ट अटैक मरीजों की जान बचाई जा सकी। जिसमें लाल मिर्च के इस्तेमाल से बना एक घोल सबसे ज्यादा कारगर साबित हुआ। लाल मिर्च के खास गुण इसमें पाए जाने वाले स्कोवाइल ( Scoville ) की वजह से होते हैं। लाल मिर्च में कम से कम 90,000 युनिट स्कोवाइल पाया जाता है।

अगर आप किसी को भी हार्ट अटैक आते देखते हैं तो एक चम्मच लाल मिर्च एक ग्लास पानी में घोलकर मरीज को दे दीजिए। एक मिनट के भीतर मरीज की हालत में सुधार आ जाएगा। इस घोल का असर सिर्फ एक अवस्था में होता है जिसमें मरीज का होश में होना आवश्यक है।

ऐसे हालात जिनमें मरीज बेहोशी की हालत में हो दूसरे उपाय को अपनाया जाना बेहद जरूरी है। लाल मिर्च का ज्यूस बनाकर इसकी कुछ बूंदें मरीज की जीभ के नीचे डाल देने से उसकी हालत में तेजी से सुधार आता है।
लाल मिर्च में एक शक्तिशाली उत्तेजक पाया जाता है। जिसकी वजह से इसके उपयोग से ह्रदय गति बढ़ जाती है। इसके अलावा रक्त का प्रवाह शरीर के हर हिस्से में होने लगता है। इसमें हेमोस्टेटिक (hemostatic) प्रभाव होता है जिससे खून निकलना तुरंत बंद हो जाता है। लाल मिर्च के इस प्रभाव के कारण हार्ट अटैक के दौरान मरीज़ को ठीक होने में मदद मिलती है।
हार्ट अटैक से बचाव के लिए तुंरत उपयोग करने हेतु एक बेहद कारगर घोल बनाकर रखा जा सकता है। लाल मिर्च पाउडर, ताज़ी लाल मिर्च और वोदका (50 % अल्कोहल के लिए) के इस्तेमाल से यह घोल तैयार किया जाता है।
कांच की बोतल में एक चौथाई हिस्सा लाल मिर्च से भर दीजिए। इस पाउडर के डूबने जितनी वोदका इसमें मिला दीजिए। अब मिक्सर में ताजी लाल मिर्च को अल्कोहल के साथ में सॉस जैसा घोल तैयार कर लीजिए। इस घोल को कांच की बोतल में बाकी बचे तीन चौथाई हिस्से में भर दीजिए। अब आपकी बोतल पूरी तरह से भर चुकी है। कांच की बोतल को कई बार हिलाइए। इस मिश्रण को एक अंधेरी जगह में दो हफ्तों के लिए छोड दीजिए। दो हफ्तों बाद इस मिश्रण को छान लीजिए। अगर आप ज्यादा असरकारक मिश्रण चाहते हैं तो इस घोल के तीन माह के लिए अंधेरी जगह पर छोड़ दीजिए।
हार्ट अटैक आने के बाद होश में बने रहने वाले मरीज़ को इस मिश्रण की 5 से 10 बूंदें दी जानी चाहिए। 5 मिनट के अंतराल के बाद फिर से उतनी मात्रा में यह घोल मरीज को दिया जाना चाहिए। 5 मिनिट के अंतराल के साथ मरीज की हालत में सुधार आने तक यह प्रक्रिया दोहराई जा सकती है। अगर मरीज बेहोश है तो उसकी जीभ के नीचे इस मिश्रण की 1 से 3 बूंदे डाल दी जानी चाहिए। इस प्रक्रिया को तब तक दोहराया जाना चाहिए जब तक मरीज की हालात में सुधार न आ जाए।
वैज्ञानिक शोधों से साबित हो चुका है लाल मिर्च में 26 अलग प्रकार के पोषक तत्व पाए जाते हैं। कैल्शियम, ज़िंक, सेलेनियम और मैग्निशियम जैसे शक्तिशाली तत्वों से भरपूर लाल मिर्च में कई मिनरल के अलावा विटामिन सी और विटामिन ए की भी भरपूर मात्रा होती है। हर भारतीय घर में मसाले का अभिन्न हिस्सा लाल मिर्च में ह्रदय को स्वस्थ रखने के कुछ बेहद खास और विस्मयकारी गुण पाए जाते हैं। किसी भी तरह की ह्रदय संबंधी समस्या से बचने में लाल मिर्च बहुत कारगर है।
चेतावनी : यह आलेख वैज्ञानिक शोध के आधार पर तैयार किया गया है। इस संबंध में अभी अन्य शोध जारी है। यह महज एक तात्कालिक उपाय हो सकता है स्थायी उपचार नहीं। गंभीर स्थिति में चिकित्सक की सलाह अवश्य लें। वेबदुनिया का प्रयास है नवीन जानकारी उपलब्ध कराना ना कि भ्रम फैलाना। अत: स्वविवेक से निर्णय लें।

दूध अमृत तुल्य है ::गाय का दूध, :: Cow milk is like nectar



दूध अमृत तुल्य है ::गाय का दूध --

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धारोष्ण दूध :-
धारोष्ण दूध का अर्थ है – स्तनों से तुरंत निकला हुआ दूध | वास्तव में धारोष्ण दूध का सेवन परम उपयोगी होता है क्योंकि सामान्यतः वायु, पृथ्वी, अग्नि, आकाश के स्पर्श या फिर थोड़ी -थोड़ी देर में पीने से दूध का अधिकांश गुण नष्ट हो जाता है |
नियम तो यह है कि दूध पिलाने एवं पीने वाले के शरीर का तापमान समान होना चाहिए | छोटे बच्चों के लिए माँ का दूध इसीलिए सर्वोत्तम आहार कहा गया है क्योंकि बच्चे दूध को माँ के स्तन में मुंह लगाकर उसमें बिना हवा लगे प्राकृतिक रूप से ग्रहण करते हैं |
दुग्ध कल्प :-
प्राकृतिक चिकित्सा में अधिकांशतः देशी गाय जो शुद्ध प्राकृतिक आहार करती हो उसके दूध से “कल्प” कराया जाता है | ह्रदय से सम्बंधित कुछ रोगों को छोडकर कोई भी रोग ऐसा नहीं है जो “दुग्ध कल्प” से न मिट सके, परन्तु यह कल्प किसा प्राकृतिक चिकित्सालय में रहकर चिकित्सक की देखरेख में ही करना उचित है | इस लेख में ‘दुग्ध चिकित्सा’ के अंतर्गत गाय के दूध,घी,दही के कुछ अनुभूत घरेलु प्रयोग दिए जा रहे हैं |
पीलिया :-
चालीस ग्राम गाय के दही में दस ग्राम हल्दी का चूर्ण मिलाकर प्रातः खाली पेट एक सप्ताह तक सेवन करें
पेचिश:-
25 मि.ली. गाय के ताजे दूध को गुनगुना करने के बाद लगभग 10 ग्राम शहद मिलाकर रखें | तत्पश्चात एक कटोरी में एक चौथाई नींबू का रस निकल कर रखें |अब इस कटोरी में दूध को डालकर जल्दी से पी लें ताकि दूध नींबू रस के कारण पेट में पहुँचते-पहुँचते फट जाये | प्रातः सांय दोनों समय इसे प्रयोग करें | कुछ ही दिनों में पेचिश जड़ से समाप्त हो जाएगी |


बबासीर :-
पांच ग्राम गाय के घी में दो ग्राम जायफल घिसकर मिला लें | इस मिश्रण को बबासीर के मस्सों पर लगाने से उनका दर्द समाप्त हो जाता है |
पचास ग्राम गाय के मक्खन में दस ग्राम बारीक़ पिसा हुआ सेंधा नमक मिलाएं | इस मलहम को बबासीर के मस्सों पर प्रातः सांय शौच के उपरांत लगाने से मस्से नष्ट हो जाते हैं |
बीस ग्राम मक्खन के साथ चालीस ग्राम काले तिल का चूर्ण मिलाकर प्रातः खाली पेट सेवन करने से 21 दिन में बबासीर के मस्से नष्ट हो जायेंगे |
खट्टी छाछ के साथ मसूर की दाल का पानी मिलाकर पीने से बबासीर का रक्तस्राव बंद हो जाता है |
कब्ज :-
गाय का ताजा मट्ठा 250 मी.ली. के साथ 5 ग्राम अजवाईन का चूर्ण मिलाकर प्रातः खाली पेट पीने से कब्ज दूर हो जाता है |
तीन दिन का रखा हुआ 250 मी.ली खट्टा मट्ठा प्रातः खाली पेट लेने से कब्ज दूर हो जाता है |
250 मी.ली गाय के दूध में चार अंजीर एवं आठ मुनक्के डालकर उबालें | एक उफान आने के बाद उस दूध को धीरे-धीरे पियें | दूध में पड़े अंजीर एवं मुनक्के को चबा-चबाकर खाएं | कब्ज दूर होने के साथ ही आँतों को भी बल मिलेगा एवं शरीर की जीवनी शक्ति भी बढ़ेगी |
मुंह के छाले :-
रात को सोते समय छालों पर दूध की मलाई लगाने से छाले ठीक हो जाते हैं |
प्रातः खाली पेट गाय के दही के साथ पका हुआ चित्तीदार केला खाने से मुंह के छाले ठीक हो जाते हैं |
बालों के पोषण हेतु :-
गाय के दही को तांबे के बर्तन में डालकर उसे तब तक घोटें जब तक दही में हरापन न आ जाये | अब इस दही को सिर पर लेप करने के पश्चात् तीस मिनट बाद सिर को धोएं | साबुन का प्रयोग न करें | इससे बालों के रोग दूर होंगे एवं गंजेपन में भी लाभ होगा |
एक दिन पुराने [बासी] मट्ठे से बाल धोने से बालों का झड़ना बंद हो जायेगा |
एग्जिमा :-
एक सूती कपड़े की पट्टी को दो-तीन तह करके गाय के कच्चे दूध में भिगोने के पश्चात् उसे एग्जिमायुक्त स्थान पर दस मिनट तक रखें लगभग एक सप्ताह में एग्जिमा की खुजली समाप्त हो जाएगी | खुजली समाप्त होने के बाद एग्जिमा पर गाय का मक्खन मल कर लगाने से कुछ दिनों में एग्जिमा समाप्त हो जाता है |
चेहरे की सुन्दरता हेतु :-
10 ग्राम मसूर की दाल, 10 ग्राम हल्दी और 10 ग्राम बेसन को रात में 60 मि.ली. कच्चे दूध में भिगो दें | प्रातः काल इन सब को पीसकर उबटन की भांति लगाने के पश्चात स्नान करें | इस प्रयोग से मुंहासे, चेचक के दाग, स्त्रियों के चेहरे के अनावश्यक बाल,झाँई आदि नष्ट हो जाते हैं |
ऊपर दिए गये सभी प्रयोग लाभदायक हैं जिन्हें व्यक्ति घर में आसानी से कर सकता है ,


चेहरे से बालो को निकालने के लिए, To remove hair from the face




चेहरे से बालो को निकालने के लिए:::
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कुसुम्बा के तेल की मालिश से अनचाहे बाल उड़ जाते हैं।

-- १ भाग मोम तथा ५ भाग तिल के तेल को कढ़ाई में पिघला कर मक्खन

की तरह बना लें। अब इसको सहता- सहता त्वचा पर लगाएँ और 1 घंटे के बाद धोकर साफ़ कर लें। इससे अनचाहे बालों को हटाने में फायदा होता है।

- 1ग्राम अजवाईन एवं 1/2 ग्राम अफीम को सिरके में घोटकर त्वचा पर लेप करने से अनचाहे बालों को हटाने में फायदा होता है।
- 50 ग्राम शंख भस्म को 10 ग्राम हरताल तेल में मिलाकर लेप करने से
अनचाहे बालों को हटाने में फायदा होता है।

पुदीना – शरीर मे एन्ड्रोजेंट की मात्रा अधिक हो जाने से अनचाहे बालो की समस्या सामने आती है | रोजाना 5 से 6 पुदीने की पत्तियो की चाय पीने से लाभ मिलेगा |
प्याज की पारदर्शी झिल्ली , तुलसी पेस्ट – ताजा तुलसी के पत्ते और प्याज की पारदर्शी झिल्ली का पेस्ट अतिरिक्त बाल के क्षेत्रों पर लगाने से एक महीने में असर होगा |
तनाका पाउडर और कुसुम – तनाका बर्मा में पाया तनाका पेड़ की छाल से बनाया गया एक पीले-सफेद रंग का पाउडर है। तनाका पाउडर और कुसुम का पेस्ट आपको स्थायी रूप से अनचाहे बालों से छुटकारा देगा |
बेसन, दही और हल्दी के साथ बनाया पेस्ट – दही, बेसन और हल्दी के कुछ महीनों के लगातार उपयोग ,चेहरे के बालों को हटा देगा|
पपीता हल्दी का लेप – एक कच्चे पपीता और हल्दी पाउडर का पेस्ट स्थायी रूप से अनचाहे बालों को हटाने के लिए बहुत प्रभावी है।
शहद और नींबू का रस – शहद और नींबू के रस का मिश्रण लाभकारी परिणाम देंगे |प्रभावित क्षेत्रों पर एक सप्ताह में दो बार इसे लगाए |
अंडा चीनी और मकई का आटा – सर्वश्रेष्ठ परिणाम पाने के लिए अवांछित बालों के साथ क्षेत्र पर अंडे का सफेद भाग, चीनी और मकई का आटा का पेस्ट लगाए | सूखने के बाद इसे उखाड़ दे |
उबटन – कुछ ही मिनटों मे जड़ों से बालों को बाहर निकालने के लिए उबटन का उपयोग किया जा सकता है रसोई मे उपलब्ध सामग्री बेसन , सरसों का तेल और हल्दी से तैयार इस मिश्रण से चेहरे पर मालिश करे | साफ और चमक वाली त्वचा हो जाएगी|
ब्रेड और दूध – ब्रेड और दूध का मिश्रण को चेहरे पर लगाकर मालिश करे | ब्रेड चेहरे की गंदगी को निकाल देगा और दूध आपको सफेद और चमकती हुई त्वचा देगा |
शक्कर को पिघलाकर इसमें शहद और नींबू का रस मिलाएं और पेस्ट तैयार कर लें। पेस्ट को चेहरे पर लगाएं और वैक्स की तरह साफ करें।
काबुली चने के आटा का शरीर के अनचाहे बालों को दूर करने और रोकने के लिए पारंपरिक रूप से इस्तेमाल किया जाता है। इसे बनाने के लिए आधा कटोरी चने का आटा, आधा कटोरी दूध, एक चम्‍मच हल्‍दी और एक चम्‍मच क्रीम लेकर इसे मिक्‍स करके चेहरे पर लगाएं। आधा घंटा लगे रहने के बाद इसे गुनगुने पानी से धो लें।
मसूर की दाल को रात भर भिगोने के बाद उसमें नींबू का रस, शहद, आलू का रस और एक चुटकी हल्‍दी मिला दें। यह एक प्रभावी फेस पैक है जो अनचाहे बालों को हटाने के साथ शेष बालों को ब्‍ली‍च कर देता है।

बाल काले लंबे घने बनाऐं, बालो को लम्बा करने का तेल बनाये घर पर

बालो को लम्बा करने का तेल बनाये घर पर ::
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सामग्री :-
1. अरंडी का तेल 250 ग्राम
2. जैतून का तेल 50 ग्राम,

3. चन्दन कि लकड़ी का बारीक बुरादा 50 ग्राम
4. काँफी पाउडर 50 ग्राम।
5. बरगद के पेड़ कि एकदम ताजा पत्ती (बन्द वाली कोपल) 300 ग्राम
6. अम्बर बेल 300 ग्राम (जो हरे रंग के धागे कि तरह पेड़ के ऊपर मिलती है।)
क्र. 1 से 4 की चीजेँ पंसारी एवँ 5,6 को गाँव देहात से ढूँढ कर लाना होगा।
बनाने की विधि --
दोनोँ तेलोँ को मिला कर हल्की आँच पर गर्म करेँ। फिर इस तेल मे सभी चीजेँ डाल लेवेँ और तब तक हिलाते रहेँ जब तक पूरी सामग्री काली होकर जल ना जायेँ। सावधानी रखना तेल तड़तड़ाता बहुत है। सभी चीजेँ जल जाने पर ठंडा करके तेल को बोतल मे भरकर रख लेवेँ।

प्रयोग की विधि --
रोजाना 20 मिनिट तक उँगलियोँ के पोरौँ से इस तेल की मालिश सिर मे करेँ। तेल के नियमित प्रयोग से जो बाल सफेद हो गये है वो भी वापस जड़ से काले उगने लगेँगे।
इसके साथ में एक एक चम्मच सुबह शाम त्रिफला चूर्ण गुनगुने पानी के साथ ज़रूर ले।

6 महीने में रिजल्ट मिल जायेगा।स्नान करने के बाद ही तेल लगाना है , शेम्पू का प्रयोग नहीं करना तेल लगाने के बाद |
बाज़ार में बना हुआ नहीं मिलता है |
हम बना कर नहीं देते है |



6 Perfect Diets मॉनसून सीजन के लिए, 8 टिप्स-सावधानी बरतकर लें मानसूनी वर्षा का लुत्फ


मानसून में प्रफैक्ट डाइट सबसे जरूरी होती है। क्योंकि खानपान का सीधा असर स्किन पर भी पडता है। मौसम के अनुसार खाने की आदत ना सिर्फ व्यक्ति की स्वस्थ रखती है, बल्कि उसकी स्किन भी स्वस्थ रहती। खाने में हरी सब्जियां और फाइबरयुक्त चीजों को शामिल करना आवश्यक होता है। मानसून में जिंकयुक्त पदाथों का लेना अत्यंत लाभदायक रहता है।

मानसून के आते ही हमें सत्तर्क हो जाना चाहिए, क्योंकि इन दिनों कई सेहत से जुडी परेशानियाँ हो जाती हैं। इस दौरान अक्सर लोग बीमार पडते हैं। इन सभी समस्याओं से बचने के लिए आपको खान-पान और साफ-सफाई का खास ध्यान रखना चाहिए, थोडी सी सावधानी बरतकर सेहत के साथ बारिश का लुफ्त उठा सकते हैं। तो आइऎ जानते हैं कैसे


गर्भावस्था के अनचाहे निशानों से यूं पाएं निजात

मां बनना किसी भी महिला के जीवन का बेहद सुखद अनुभव होता है। पल-पलगर्भ में पलता शिशु मां को गर्भवस्था से बच्चा पैदा होने तक का यह सफर कई परेशनियों से भी भरा होता है और उस पर गर्भावस्था कम उम्र की हो या ज्यादा की, तब कई समस्याओं का समाना करना पड सकता है। गर्भवती महिलाओं के पेट पर खिंचाव से निशान उभर आ जाते हैं जिससे स्किन देखने में अच्छी नहीं लगती। लेकिन नियमित रूप से अगर घरेलू उपचार का पालन कर जाए तो इन अनचाहे निशानों से निजात मिल सकती है।

मां बनना किसी भी महिला के जीवन का बेहद सुखद अनुभव होता है। पल-पलगर्भ में पलता शिशु मां को गर्भवस्था से बच्चा पैदा होने तक का यह सफर कई परेशनियों से भी भरा होता है और उस पर गर्भावस्था कम उम्र की हो या ज्यादा की, तब कई समस्याओं का समाना करना पड सकता है। गर्भवती महिलाओं के पेट पर खिंचाव से निशान उभर आ जाते हैं जिससे स्किन देखने में अच्छी नहीं लगती। लेकिन नियमित रूप से अगर घरेलू उपचार का पालन कर जाए तो इन अनचाहे निशानों से निजात मिल सकती है।

एलोवेरा जेल- यह एक प्राकृतिक तरीकों में से एक है। ऎलोवेरा जेल को त्वचा के निशानों पर लगाएं और कुछ ही दिनों में इन निशानों से राहत मिल जाती है। पानी की पर्याप्त मात्रा में त्वचा की लाचीला बनाने में मदद करती है। साथ ही त्वचा को ग्लोइंग और शरीर को हाइड्रेटेड रखने के लिए आप कम से कम 10-12 गिलास पानी पीना चाहिए। खिंचाव के निशान के लालपन को दूर करने के लिए आप आलू के स्लाइस करलें, उस आलू के स्लाइस को धीरे-धीरे उन निशानों पर मलें कुछ दिनों में निशान कम हो जाएंगे। जैतून का तेल से गर्भवती महिलाओं के स्किन पर आये अनचाहे निशान को हटाने लिए जैतून का तेल भी बहुत लाभकारी होता है। 

आप अपनी त्वचा के अनुसार ही मॉइश्चराइजर का प्रयोग करें, जैसे मक्खन, तेल व बेस्ट क्रीम का प्रयोग करें।

रूप निखारे प्राकृतिक गुणों से


त्वचा का रंग सामान्यत: आनुवंशिक गुणों पर निर्भर करता है। त्वचा को रंग (कैलामोसाइटिस )नामक कोशिकाओं द्वारा मिलता हे। यह कोशिकाएं (मोलानिन ) नामक पदार्थ का निमार्ण करती हैं जो त्वचा के रंग के लिए उत्तरदायी हैं। रंग देने वाली इन कोशिकाओं पर बाहरी प्रभाव पडने से भी प्राय: बदलाव आता है। यह कोशिकाएं धूप से प्रभावित होती हैं जिससे इनकी सक्रियता बढ जाती है। नतीजा स्किन का रंग सांवला या काला हो जाता है। सांवली रंग की महिला हीनभावना से त्रस्त रहती है जिससे उसके शारीरिक और मानसिक विकास पर असर पडता है। लेकिन ब्यूटी एक्सर्पट का मानना है कि सांवला रंग कुरूपता या ईश्वर का अभिशाप नहीं हैं। किसी की पहचान उसके रूप से नहीं, गुणों द्वारा होती है।


फिल्मी दुनिया की अनेक हीरोइनें सांवली होने के बावजूद सुन्दर, आकर्षक और काफी लोकप्रिय हैं। इसलिए सांवली होने पर मन में हीनभावना ना लाएं बल्कि त्वचा की विशेष रूप से देखभाल करें। साथ ही साथ शारीरिक स्वास्थ्य एवं सुडौलता पर भी ध्यान दें। गोरेपन की क्रीम के झांसे में फंसने के बजाय बेहतर होगा कि अपनी त्वचा को निखरी और सलोनी बनाने के प्रयास किए जाए। दुनिया की कोई भी क्रीम आपको गोरा नहीं बना सकती अत: आपको जो त्वचा प्राकृतिक रूप से मिली है उसी को स्वस्थ और आकर्षक बनाने के जतन करने चाहिए। सांवली त्वचा को सलोनी रंगत देने के लिए अपनी मजीठ, हल्दी, चिरौंजी 50-50 ग्राम लेकर पाउडर बना लें।
एक-एक चम्मच सब चीजों को मिलाकर इसमें 6 चम्मच शहद मिलाएं और नींबू का रस तथा गुलाब जल डालकर पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को चेहरे, गरदन, बांहों पर लगाएं और एक घंटे के बाद गुनगुने पानी से चेहरा धो दें। ऎसा सप्ताह में दो बार करने से चेहरे का सांवलापन दूर होकर रंग निखर आएगा। नींबू व संतरे के छिलकों को सुखाकर चूर्ण बना लें। इस पाउडर को हफ्ते में एक बार बिना मलाई के दूध में मिलाकर लगाएं, त्वचा में आकर्षक चमक आएगी।

जाडे के दिनों में दूध में केसर या एक चम्मच हल्दी का सेवन करने से भी रक्त साफ होता है। चार चम्मच सरसों को दही के साथ पीस लें। इसे सारे शरीर पर लगाएं। सूखने पर पानी से गीला करती रहें। आधे घंटे बाद गुनगुने पानी से धो लें। यह प्रयोग सप्ताह मेंदो-तीन बार करने से सांवली त्वचा साफ होती है। 50 ग्रम इमली को 250 ग्राम पानी में भिगो दें। 15 मिनट बाद इसे ठीक से मसलकर चटनी जैसा पेस्ट बना लें। इसे शरीर पर मलकर 10-15 मिनट बाद स्त्रान करें। यह प्रयोग सप्ताह में एक बार करें। इससे सांवलापन दूर होता है।

डार्क लिप से कैसे पाएं छुटकारा


खूबसूरत होंठ किसी भी चेहरे की खूबसूरती को और बढ़ा देते हैं। इसलिए इनकी पहचान को हमें यूं नहीं जाने देना चाहिये और यह हमेशा गुलाबी बने रहें इसके लिए प्रयत्‍न करते रहना चाहिये। कॉफी और चाय होंठों को डार्क बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ते। हां दिन भर मं एक या दो कप पीने से कोई फरक नहीं पड़ता पर यदि मात्रा थोडी ज्‍यादा हो जाए तो निश्‍चित फरक पड़ेगा। इसके अलावा स्‍मोकिंग, एलर्जी, होंठ को बार बार चाटना भी आपके होंठों को डार्क बना सकते हैं।


क्‍या है उपचार -
1.सुबह ब्रश करने के बाद अपने उसी ब्रश से होंठ पर से मृत कोशिका को हटाने का प्रयास करें। इससे डेड सेल साफ हो जाएगीं और नई त्‍वचा आ जाएगी, जिससे होंठ गुलाबी लगने लगेगें।
2.इसके बाद रोज रात को सोने से पहले अपने होंठों पर वैसलीन या नींबू का रस लगा कर सोएं। आपको एसपीएफ 15 वेल्‍यू वाला लिप बाल्‍म लगाना चाहिये और साथ ही दिन भर में 8 ग्‍लास पानी जरुर पीना चाहिये। केवल इतना ही करिये और अपने होंठों पर इसका असर देखिए।

3.डार्क लिप का कारण पौष्‍टिक आहार न करना भी होता है। इसलिए अपने आहार में आज से ही फल लेना शुरु कर दें। इसके साथ ही 6 खजूरों को कप में डाल दें और ऊपर से गरम पानी डाल कर आधा घंटा भिगो कर रख दें। इस घोल को हफ्ते में कई बार पीने से शरीर में ब्‍लड सर्कुलेशन बढता है जिससे होंठ गुलाबी हो जाते हैं।
4.जब भी लिपस्टिक लगाएं तो सबसे पहले कंसीलर लगाएं और फिर उसके ऊपर से लिपस्टिक लगाएं। इससे आप अच्‍छी भी लगेगीं और साथ में आपके होंठ काले भी नहीं लगेगें। इसके अलावा कभी भी एक्‍सपायर हो चुकी या फिर पुरानी लिपस्‍टिक न लगाएं।

5.अगर आप स्‍मोकिंग करती हैं तो आज से ही छोड़ दें। क्‍योंकि निकोटीन अपने दाग से आपके होंठों को बार-बार काला करता रहता है। अगर आप स्‍मोकिंग छोड देगीं तो यह दाग कुछ ही दिनों में चले जाएगें।

कमज़ोर नाखूनों केलिए मैं क्या कर सकती हूँ ? (What Can I Do About Weak Nails?)

हमारे नाखून कमज़ोर (weal) कई कारणों के कारण होते हैं, जैसे कमज़ोर आहार (poor diet), नेल पोलिश में मिले रसायन (chemicals), बहुत लम्बे या उनको खराब तरीके से इस्तेमाल में लाये जाने के कारण  हो सकते हैं |  कमज़ोर नाखून बहुत नाज़ुक होते है, अक्सर यह टूट जाते, तड़क जाते या इनके छिलके उखड जाते हैं |  नाखूनों को स्वस्थ (healthy) और उनके रूप (look) केलिए उनका ख्याल रखना बहुत ही आवश्यक है |
नाखून को कमज़ोर होने से बचाने केलिए यह आवश्यक है कि भोजन में पर्याप्त प्रोटीन (enough protein)  लिए जायें |  उँगलियों के नाखूनों के अतिरिक्त फल (fruits) और सब्जियां (vegetables) आपके सारे शरीर केलिए आवश्यक है |  कुछ लोग नाखूनों को स्वस्थ (healthy) बनाकर उसे बढाने केलिए बायोटीन (biotin) लेने में सफलता समझते हैं |  नाखूनों को टूटने से बचाने केलिए कुछ नाखूनों को सक्त करने के बहुत से उत्पाद (products) भी उपलब्ध है |

नेल पोलिश (nail polish) और नेल पोलिश र्मूवर (nail polish remover) का ज़्यादा प्रयोग भी नाखोंन के कमज़ोर (weak nails) होने का कारण हो सकता है | यदि आप नेल पोलिश (nail polish) लगाना चाहे तो ऐसे ब्रांड (brand) का प्रयोग करें जो फोर्मल्दीहाईड मुक्त (formaldehyde free) हो और जो नाखून पर नेल पोलिश (nail polish) हर समय ना छोड़े |  यह बहुत महत्व पूर्ण है कि नाखूनों को श्वास (breathe) लेने का भी अवसर दिया जाये |  नाखून को धुंधला होने से बचाने कलिए नेल पोलिश (nail polish) से पहले एक स्पष्ट बेस कोट (clear base coat) लगाया जाए तो बहतर होगा |  इसके अतिरिक्त ऐसे पोलिश रिमूवर (polish remover) का चयन करें जो एस्तोन से मुक्त (acetone free) हो, जिससे नाखून अत्यधिक रूखे (extremely dry) हो जाते हैं |
नाखून जितने बढ़ते जाते हैं उतने ही वे कमज़ोर होते जाते हैं |  नाखून की लम्बाई (length)  उपुक्त रखें | बिना कोई खुरदुरे किनारों (jagged edges) के, नाखून को वर्ग (square) या गोलाकार (rounded shape) में फाईल (file) करें |  जब भी फाईलिंग (filing) करें तो फ़ाइलिन्ग (filing) आगे पीछे ना करके एक ही दिशा (direction) में करें |  इस प्रकार की सागरीय गति (sea saw motion) से नाखून तड़क कर कमज़ोर हो जाते हैं |  इसके अतिरिक्त नाखून पानी में अधिक रहने से भी टूट जाते हैं |  जब नाखून नर्म (soft) हो या पानी में भीगे हो तब फाईलिंग (filing) ना करें |

अंत में यह कहना उचित होगा कि नाखून को ध्यान से इस्तेमाल लाये |  इसका मतलब है कि आप जब भी कुछ साफ़ करें, बर्तन (dish) धोएँ, बाहर या उपवन (garden) में काम करें तो ग्लव्स (gloves) पहन लिया करें |  नाखूनों का ढक्कनों को खोलने या कुछ खरोचने (scraping) केलिए ऐसे प्रयोग ना करें जैसे कि वे कोई तगड़ा उपकरण (sturdy tool) हो |  एक और बात यह है कि उसे कुतरे भी नहीं |  यह महत्व पूर्ण होगा कि नाखून को कमज़ोर होने से बचाने से केलिए उसको नियमित मोइस्चराईज़ (regular moisturize) करें |  नाखून पर मोईस्चराइज़र (moisturizer) की मोटी सतह (thick layer) लगाकर उस पर ग्लव (gloves) या मौजे (socks) रात भर पहन लेने से उनकी बहुत अच्छी तरह से कंडीशनिंग (conditioning) और उपचार (treatment) हो जाता है |  यदि नाखून लगातार कमज़ोर रहे और उनकी पपड़ी (flaking) या छिलका (peeling निकलते रहे या उन पर कुछ धब्बे (spots) आयें तो फंगल संक्रमण (fungal infection) से बचने केलिए किसी देर्मेतेलोगिस्ट (dermatologist) के पास अवश्य जाएँ |

सुंदर नाखूनों के लिए करें सही देखभाल, Nail Care Tips in Hindi


आजकल जब लडकियां किसी पार्टी के लिए तैयार होती हैं तो वह अपने नाखूनों की सजावट पर बहुत ध्‍यान देती हैं। ड्रेस से मैच करती हुई नेल पॉलिश लगाना तथा नेल आर्ट से नाखूनों को नया लुक देना बिल्‍कुल आम बात हो गई हा। पर यह जान लेना बहुत ही जरुरी है कि नाखून पर कोई भी सजावट तभी अच्‍छी लगती है जब वह बिल्‍कुल स्‍वस्‍थ्‍य हों। आइये जानते हैं नाखूनों को स्‍वस्‍थ्‍य रखने के क्‍या टिप्‍स हैं।




क्‍या हैं टिप्‍स-
1. सबसे पहला कदम यह अपनाएं कि नाखूनों पर एक हफ्ते से ज्‍यादा देर के लिए नेल पॉलिश को न लगा रहने दें। अगर नेल पॉलिश ज्‍यादा समय के लिए नाखून पर रहती हैं तो वह नाखूनो की सतह को खराब बना देती है। साथ ही नाखून बदरंग और अस्‍वस्‍थ्‍य हो जाते हैं।
2. क्‍यूटिकल्‍स को साफ रखें- क्‍यूटिकल्‍स नाखूनों के दोनों ओर होते हैं जिसमें गंदगी जब जाती है। यह इतने प्रभावशाली होते हैं कि इसकी वजह से नाखून सड़ भी जाते हैं। अच्‍छा होगा की आप समय समय पर क्‍यूटिकल्‍स को काटती रहें।
3. अपने नाखूनों को चमकदार और स्‍वस्‍थ्‍य बनाने के लिए उसकी हमेशा नारियल और अरंडी तेल से मसाज करती रहें।
4. कराब नाखूनों का एक कारण यह भी है कि उसे समय समय पर काटा नहीं जाता। बाहर के वातावरण में सबसे पहले हमारे हाथ ही आगे आते हैं और जल्‍दी गंदे होते हैं इसलिए न केवल नाखून को ऊपर से ही बल्कि अंदर से भी साफ करना चाहिए। इसके लिए आपको गरम पानी और साबुन के घोल में डाथ डुबोने की जरुरत है और फिर उसे स्‍क्रब करने से हाथों की सफाई हो जाएगी।
5. नाखूनों को शेप देते वक्‍त उन्‍हें एक ही दिशा में लें जाएं। जगह-जगह से शेप देने की वजह से उनकी क्‍वालिटी खराब हो जाती है।
6. सबसे अहम बात यह कि आपका खाना ही आपके नाखूनों की सही पहचान है। अच्‍छे नाखूनों के लिए आपकी डाइट में कैल्‍शिम की मात्रा अधिक होनी चाहिए।

Natural Ayurvedic Home Remedies for Ear Infection


EAR INFECTION
  • One of the most common ear infection is the inflammation of the middle ear
  • The middle ear portion is located just behind the ear drum

CAUSES
  • Eustachian tube inside the ear drains out the body fluids that are produce in the middle ear. Any blockage in this tube causes the fluids to collect,leading to an infection. The blockage may occur due to:
    • Allergies
    • Cold
    • Sinus
    • Smoke

SYMPTOMS
  • Earache
  • Swelling
  • Loss of hearing
  • Discharge from ear
  • Vertigo
  • Vomiting
  • Nausea
  • Ringing sound in ear
SIMPLE TECHNIQUES
  1. Natural home remedy using garlic and salt

    1. Add 4 garlic cloves in 1 glass water
    2. Heat water for 10 min to soften the cloves
    3. Crush the cloves to make 1 tsp garlic paste
    4. Add a pinch of salt
    5. Mix well
    6. Wrap the paste in a thin piece of cloth
    7. Place the cloth on the infected ear
  2. Natural home remedy using basil leaves

    1. Crush a handful of basil leaves
    2. Press them on a sieve and extract juice
    3. Pour 2 drops of juice in the infected ear
    4. Continue for a week
TIPS
  • The Eustachian tube might get blocked during air travel or when one is at a high altitude. To unblock the tube:
    • Chew a gum
    • Yawn
  • Get your ears regularly cleaned by a doctor
  • Do not clean ears with any sharp objects
  • Wear ear plugs while swimming

कान के रोग के आयुर्वेदिक उपचार

कान हमारे शरीर के बहुत ही संवेदनशील एवं महत्वपूर्ण अंग होते हैं। अगर इनका सही ख्याल नहीं रखा गया, तो नाज़ुक प्रकृति के होने के कारण, कान से जुडी अनेक समस्याएँ खड़ी हो सकती हैं।

कान हमारे शरीर के बहुत ही संवेदनशील एवं महत्वपूर्ण अंग होते हैं। अगर इनका सही ख्याल नहीं रखा गया, तो नाज़ुक प्रकृति के होने के कारण, कान से जुडी अनेक समस्याएँ खड़ी हो सकती हैं।


कान की समस्याएं और रोग अधिकतर सर्दियों से जुड़े होते हैं। कई लोग  सर्दी की बीमारी की वजह से कान के रोग के शिकार होते हैं, और अगर सर्दी का इलाज जल्द नहीं किया गया तो सुनने की शक्ति पर असर पड़ सकता है। यह देखा गया है कि अधिकतर बच्चों में कान के पस का निर्माण होता है, जो अपने आप में कान का एक गंभीर रोग होता है और इसका जल्द से जल्द इलाज कराना ज़रूरी होता है।


कान के रोग के लक्षण
  • एक घंटे से ज्यादा कान में दर्द होना, कान से तरल पदार्थ का स्राव होना
  • कान के दर्द के साथ बुखार
  • कान के दर्द के साथ सर दर्द होना वगैरह कान के रोग के लक्षण होते हैं।
कान के रोग के उपचार के लिए कुछ जड़ी बूटियाँ और आयुर्वेदिक उपचार:

बेल: कान के रोग के उपचार के लिए बेल के पेड़ की जड़ को नीम के तेल में डुबोकर उसे जला दें और जो तेल इसमें से रिसेगा, वह सीधे कान में दाल दें। इससे कान के दर्द और संक्रमण में काफी हद तक राहत मिलती है।
नीम: नीम में एंटी-सेप्टिक गुण होते हैं, जो ऐसे तत्वों को ख़त्म करने के काबिल होते हैं जो कान में विकार पैदा करते हैं।
तुलसी: तुलसी का रस गुनगुना करके कान में डालने से भी कान के रोगों में काफी सहायता मिलती है।
नींबू: अदरक के रस में नींबू का रस मिलाएं और इसकी चार पांच बूँदें कान में डालें। आधे घंटे के बाद रुई से कान को साफ कर दें. फिर सरसों का तेल गुनगुना करके कान में डालने से आराम मिलेगा।

मेथी को गाय के दूध में मिलाकर उसकी कुछ बूँदें संक्रमित कान डालने से भी काफी राहत मिलती है।
तिल के तेल में तली हुई लौंग की कुछ बूँदें भी कान के दर्द में आराम पहुंचाती हैं।
कान के संक्रमण और दर्द के दौरान खान पान:
  • कान की समस्या के रोगी को ऐसे खान पान के सेवन से बचना चाहिए जो कि उसके कान के रोगों को जन्म देनेवाले कफ के दोष को उग्र रूप दे सकते हैं।
  • खट्टी चीज़ों का, जैसे कि खट्टी दही और खट्टे फलों के सेवन से भी कफ का दोष बढ़ सकता है।
  • केले, तरबूज, संतरे और पपीता के सेवन से बचना चाहिए क्योंकि इससे सर्दी बढ़ सकती है, जो आगे जाकर कान की समस्यों को बढ़ावा दे सकती है। 
  • कान की समस्याओं के दौरान प्याज़, अदरक और लहसून का प्रयोग लाभकारी सिद्ध होता है। हल्दी भी अत्यधिक गुणकारी होता है, और इसे खान पान में मसाले की तरह प्रयोग करना चाहिए।  
  • आपके कानो में गन्दा पानी न समाने पाए, इस बात का पूरा ध्यान रखें जिसके लिए आपको गंदे पानी में तैरने से या डुबकी लगाने से बचना चाहिए। अगर ऐसा करना जरुरी हो तो कान को किसी कवच से ढँक लिया करें।
कान के रोगों को लापरवाही से नहीं लिया जाना चाहिए तथा अगर घरेलू या आयुर्वेदिक उपचार से लाभ नहीं पहुँच रहा हो तो किसी अच्छे डॉक्टर से इलाज करवानी चाहिए। 

अदरक के रस और प्याज़ के रस के प्रयोग से भी कान के दर्द में काफी आराम मिलता है।





Sunday, July 26, 2015

बालों की नेचुरल ब्यूटी के लिए, 10 Simple Homemade Beauty Tips For Hair, Hindi hair care tips


इसमें कोई दो राय नहीं है कि सुन्दर काले व चमकदार बाल नारी की सुंदरता में चार चांद लगा देते हैं। पुराने समय में बालों के रखरखाव व निखार के लिए नारियां अनेक तरीके इस्तेमाल में लाती थीं, जिनसे बाल वास्तव में ही काले, घने, मजबूत और चमकदार बनते थ


आज के युग में कई तरह के साबुन और अन्य चीजों को बालों की सार-संभाल के लिए प्रयोग में लाया जाने लगा है। इनसे बाल पोषक तत्व हासिल करने के स्थान पर समय से पूर्व टूट कर गिरने लगते हैं, साथ ही सफेद होने लगते हैं। इस लेख में हम अपने पाठकों को बालों के रख रखाव के बारे में कुछ ऐसी महत्वपूर्ण जानकारियां दे रहे हैं, जिन्हें इस्तेमाल में लाकर बालों को सुदृढ़, काले और चमकदार बनाया जा सकता है।

* खट्टी दही में चुटकी भर फिटकरी मिला लें, साथ ही थोड़ी सी हल्दी भी मिला लें। इस मिश्रण को सिर के बालों में लगाने से सिर की गंदगी तो दूर होती ही, साथ ही सिर में फैला संक्रमण भी दूर होता है। इस क्रिया को करने से सिर के बाल निखर उठते हैं।

* बालों को धोने के बाद गोलाकार कंघी से बालों में भली प्रकार से ब्रश करना चाहिए। इसके बाद सिर के बालों की जड़ों में उंगली घुमाते हुए अपना हाथ ऊपर से नीचे की ओर फिराएं। ऐसा करने से आपके बाल हमेशा मुलायम बने रहेंगे।


* हफ्ते में कम से कम एक बार अपने सिर के बालों में जैतून के तेल की मालिश अवश्य करें। ऐसा करने से सिर के बाल सफेद होने बंद होते हैं और मजबूती पाते हैं।

* धूल और प्रदूषण के प्रभाव से सिर के बाल रूखे और बेजान से हो जाते हैं। इनसे छुटकारा पाने के लिए हमेशा अच्छे शैम्पू से बालों को धोना चाहिए और अच्छा हेयर टॉनिक लगाना चाहिए।

* कुदरती साधनों के इस्तेमाल से बालों को सुंदर बनाया जा सकता है। बालों को अच्छी तरह धोने के बाद बालों में ताजी मेहंदी पीसकर लगानी चाहिए। कुछ वक्त बाद बालों को पानी से धो लेना चाहिए। 

* हफ्ते में एक बार बालों में तेल की मालिश जरूर करनी चाहिए। ऐसा करने से बालों की बेहतर कसरत हो जाती है। और सिर में खून का दौरा भी सुचारु रूप से होता रहता है।

* भूलकर भी अपने सिर के बालों के साथ ज्यादा एक्सपेरिमेंट न करें। ऐसा करने से बाल कमजोर होकर असमय टूटने लगते हैं।


* बालों की साफ-सफाई में लापरवाही न बरतें। याद रखें कि पसीना बालों की जड़ों में पहुंचने पर बालों को नुकसान पहुंचाता है। इससे बचने के लिए हफ्ते में कम से कम दो बार बालों की सफाई जरूर करें।

* बालों में अक्सर रूसी की समस्या उत्पन्न हो जाया करती है जिससे बाल बेजान होकर टूटने लगते हैं। इससे छुटकारा पाने के लिए सबसे पहले बालों में अच्छी तरह तेल लगा लें, ‍फिर गर्म पानी में भीगे तौलिए से बालों को भाप दें। ऐसा करने से बालों की रूसी खत्म हो जाएगी।

* प्रयोग में लाई गई चाय की पत्ती को थोड़े से पानी में उबाल लें। इसके ठंडा होने पर इसे बालों में लगाएं। हफ्ते में कम से कम एक बार इस क्रिया को जरूर करें। इस क्रिया को करने से बाल मजबूत हो जाएंगे।