Saturday, April 11, 2015

गोमुखासन(Gomukhasana)




विधि:
 १.     दण्डासन में बैठकर बाएँ पैर को मोड़कर एड़ी को दाएँ नितम्ब के पास रखें अथवा एड़ी पर बैठ भी सकते हैं। 

२.     दाएँ पैर को मोड़कर बायें पैर के ऊपर इस प्रकार रखें की दोनों घुटने एक दूसरे से स्पर्श करते हुए हों। 

३.     दायें हाथ को ऊपर पीठ की और मोड़िए तथा बाएं हाथ को पीठ के पीछे से लेकर दायें हाथ को पकड़िए। गर्दन एवं कमर सीधी रखें। 

४.     एक और करने के बाद विश्राम करके दूसरी ऑर इसी प्रकार करें। 




लाभ: 

            धातु रोग,बहुमूत्र एवं स्त्री रोग में लाभदायी है। अंडकोषवृद्धि एवं आंत्रवृद्धि  तथा

यकृत,गुर्दे  वक्षस्थल को बल देता है। संधिवात एवं गठिया को दूर करता है। 

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