Sunday, November 23, 2014

दिर्घ नौकासन

दिर्घ नौकासन(Dirgh navkasan)

 विधि:
१.     शवासन  में लेटकर दोनों हाथों को सिर के पीछे मिलाते हुए सिधा कर दें। 
२.     श्वास अन्दर  भरकर पैर,सिर एवं हाथ तीनों धीरे-धीरे करीब एक फुट ऊपर उठाइए नितम्ब एवं पीठ का निचला भाग भूमि पर लगा रहे। वापस आते समय श्वास छोड़ते समय धीरे-धीरे  हाथ,पैर सीर को भूमि पर
टिकाईये। 

लाभ: 
१.     पेट तथा  पीठ के लिए लाभदायी है। 
२.     हदयको मजबूत बनाने वाला श्रेष्ठ आसन है। 
३.     स्त्रीयो के लिए ये आसन उत्तम है -यह उनकी देह को सुडौल  बनता है। 

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