Back pain can be a sign of a kidney problem
पीठ के दर्द को आमतौर पर गंभीरता से नहीं लिया जाता। लेकिन शोध कहता है कि यह दर्द किडनी की समस्या का संकेत भी हो सकता है। सुषमा कुमारी का आलेखः
एक अमेरिकी रिपोर्ट के मुताबिक सिर दर्द के बाद पीठ दर्द दूसरी आम न्यूरोलॉजिकल समस्या है, जिसकी वजह से अमूमन लोग और उनका काम प्रभावित होता है। व्यस्त जीवनशैली, तनाव और गलत पोस्चर हमें अक्सर पीठ या कमर दर्द से परेशान कर देता है। ऐसे में हम पेन किलर्स लेकर काम पर चल देते हैं। लेकिन एशियन इंस्टिटय़ूट ऑफ मेडिकल साइंसेस (फरीदाबाद) के चीफ नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. जितेन्द्र कुमार के मुताबिक, बैकेक की समस्या हो और आप दर्द निवारक दवाएं लेकर निश्चिंत होने की सोच रहे हैं तो सावधान हो जाएं। कहीं आप खुद को परेशानी में न डाल रहे हों।
रहें सतर्क डॉ. कुमार कहते हैं कि बेशक, हमेशा ऐसा नहीं हो सकता, लेकिन सावधान होने और सतर्कता बरतने की जरूरत अवश्य है। पीठ दर्द का कारण गुर्दे से जुड़ी कोई गंभीर बीमारी भी हो सकती है। या यूं कहें कि किडनी से जुड़ी बीमारियां पीठ दर्द के जरिए अपने होने का इशारा कर सकती हैं। समय रहते इसका पता न लगा लिया गया तो यह बड़ी समस्या का कारण बन सकता है। इस कारण बाद में आपकी किडनी प्रभावित हो सकती है और वह काम करना बंद भी कर सकती है। इसलिए पेन किलर्स लेने से पहले बीमारी का सही कारण की जानकारी जरूरी है।
जानकारी का अभाव अमूमन लोगों को यह मालूम नहीं होता कि हमारी दोनों किडनियां पीछे की ओर पीठ की दीवार से चिपकी होती हैं। ये दोनों किडनियां वर्टिब्रा के अगल-बगल होती हैं, जहां पसली (रिब) खत्म होती है। किडनी के कारण होने वाला दर्द पीठ के क्षेत्र में महसूस किया जाता है, जो स्पाइन के किसी भी भाग में पीछे की ओर पसलियों के लोअर एज (नीचे किनारे की ओर) में होता है।
किडनी में संक्रमण या छोटा स्टोन होगा तो वह पीठ की ओर होगा। ऐसे में आमतौर पर कमर का दर्द समझ कर मरीज पेन किलर ले लेते हैं, जो सही नहीं है। जानकारी के अभाव में दवा लेने से किडनी प्रभावित होती है और लोग पीठ दर्द के भ्रम में दर्द के मूल कारण की ओर ध्यान नहीं दे पाते हैं।
किडनी दर्द के कारण आमतौर पर किडनी के दर्द का दो कारण होते हैं-स्टोन और संक्रमण। व्यस्त जीवनशैली में पानी कम पीने और यूरिक एसिड (प्रोटीन) व पालक, टमाटर आदि अधिक मात्र में लेने से भी यह समस्या हो सकती है क्योंकि इससे खून में केमिकल्स/ यूरिक एसिड बढ़ जाता है।
जांच जरूर कराएं इसका सही-सही पता लगाने के लिए डॉक्टर यूरिन टेस्ट या किडनी का अल्ट्रासाउंड कराने के लिए कह सकते हैं। जरूरत महसूस हो तो खून से जुड़ी अन्य जांच जैसे- सिटी स्कैन, न्यूक्लीयर स्कैन आदि की भी सलाह दी जा सकती है। इन जांचों को लेकर तनाव न पालें।
डरें नहीं स्टोन के आकार और उसकी सही स्थिति को देखकर बड़ी सर्जरी किए बगैर भी लिपोट्रैप्सी/लेजर/पीसीएनएल (पर क्यूटेनियस नेफ्रो लिथोट्रिप्सी) के जरिए स्टोन निकाला जा सकता है। इसलिए डरें बिल्कुल भी नहीं।
क्या करें जब पीठ सताए पीठ दर्द इतना बढ़ जाए कि सामान्य गतिविधियों में भी परेशानी होने लग जाए, पैर सुन्न हो जाएं, मसल्स कमजोर होने लगे तो समझ लें कि तुरंत उचित इलाज की जरूरत है। यूरिन पास करने में दिक्कत आ रही है या उसके साथ खून आ रहा है या जलन हो रही हो तो आप किडनी की समस्या से ग्रस्त हैं। जो लोग कम उम्र में ही डायबिटीज या हाइपरटेंशन के शिकार हो चुके हैं या पथरी समेत किडनी से जुड़ी कोई अन्य समस्या रही हो, तो उन्हें अधिक सचेत रहने की जरूरत है। दर्द निवारक गोलियां न लें।
क्यों होता है पीठ दर्द
स्टोन छोटा होगा तो दर्द ज्यादा करेगा। स्टोन बड़ा हो जाएगा तो दर्द कम महसूस होगा। इसका यह अर्थ नहीं कि स्टोन निकल गया। आप चाहे एलोपैथी, होम्योपैथी, आयुर्वेद या किसी भी अन्य पद्धति से इलाज करवा रहे हों, दर्द कम होने के बाद यह समझने की भूल न करें कि समस्या खत्म हो चुकी है। अल्ट्रासाउंड जरूर कराएं, ताकि सही स्थिति का पता चल सके।
यदि यूरिन में जलन, रुकावट और बुखार हो तो यूरिन संक्रमण की आशंका होती है, लेकिन किडनी वाले क्षेत्र में पीठ दर्द हो तो किडनी की समस्या (पाइलोनेफ्राट्स) की आशंका ज्यादा होती है। यदि उचित इलाज नहीं किया गया तो स्थिति गंभीर हो सकती है। मधुमेह और गर्भावस्था के दौरान इसका खतरा और बढ़ जाता है।
किडनी में गांठ (कैंसर) हो गया हो, तब भी यह दर्द हो सकता है। इसे ग्लोमेरलो नेफरैटिस कहते हैं। इसमें दोनों गुर्दो में किसी बीमारी के कारण सूजन आ जाती है। इस कारण पीठ दर्द शुरू हो सकता है।
यूरिन में जलन या रुकावट हो, ब्लड या प्रोटीन लीक करे या सूजन हो तो यह संकेत है कि पीठ दर्द मामूली नहीं है। इसकी वजह किडनी की समस्या हो सकती है। इस लिए किसी भी तरह के पीठ दर्द को मामूली न समझों।
अन्य कारण
सिगरेट पीना, शराब पीना, बढ़ती उम्र, व्यस्त जीवनशैली और तनाव, गलत पोस्चर, मोटापा, चोट, दुर्घटना
No comments:
Post a Comment