मर्कटासन-१ (Markatasan-1)
१. सीधे लेटकर दोनों हाथों को कंधों के साथ समानान्तर फैलाइए। हथेलियाँ आकाश की ओर खुली हों। फिर दोनों पैरों को घुटनो से मोड़करनितम्ब के पास रखें।
२. अब घुटनों को दाएं ओर जुकाते हुए दाएं घुटने को भूमि पर टिका दें। बायां घुटना दाएं घुटने पर टिका हुआ हो तथा दाएं पैर की एड़ी पर बाएं पैर की एड़ी टिकी हुए हों। गर्दन को बाई ओर घुमाकर रखें। इसी तरह से बाई और से भी आसन करें।
लाभ :
कमरदर्द,सर्वाइकल(Cervical), स्पोंडोलाइटिस,स्लिपडिस्क(SLEEPDISC),सियाटिका(SIYATIKA) में विशेष लाभकारी हैं। पेटदर्द(Abdominal pain),दस्त(diarrhea),कब्ज(constipation) एवं गैस को दूर करता है। नितम्ब(hip), जोड़ो(joint) के दर्द में लाभकारी है।
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