१. सूर्यभेदी प्राणायाम
लाभ:
शरीर में उष्णता तथा पिट कि वृद्धि होती है। वाट व् कफ(phlegm) से उत्पन होने वाले रोग ,रक्त व् त्वचा के दोष(skin defects) ,उदर-कृमि(stomach worms), कोढ़(leprosy),सुजाक,छूत के रोग,अजीर्ण,अपच(dyspepsia),स्त्री-रोग(gynecology) आदि में लाभदायक है। कुण्डलिनी जागरण में सहायक है। बुढ़ापा दूर रहता है। अनुलोम-विलोम के बाद थोड़ी मात्र मैं इस प्राणायाम को करना चाहिए। बिना कुम्भक के सूर्य भेदी प्राणायाम करने से हदयगति और शरीर की क्रियाशीलता बढ़ती है तथा वजन काम हो जाता है। इसके लिए इसके २७ चक्र दिन में २ बार करना जरुरी है।
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