मर्कटासन(Markatasan)-३
विधिः
१. सीधे लेट कर दोनों हाथों को कन्धों के समानान्तर फैलाइए। हथेलियाँ आकाश की ओर खुली हों।
२. दायें पैर को १० डिग्री उठाकर धीरे-धीरे बाएं हाथ के पास ले जाये,गर्दन को दाई ओर मोड़कर रखिए।
३. कुछ समय इस स्थिति में रहने के बाद पैर को ९० डिग्री पर सीधे उठाकर धीरे-धीरे भूमि पर टिका दें। इसी तरह बाएं पैर से इस तरह आसन करें।
४. अंत में दोनों पैरों को एक साथ ९० डिग्री पर उठाकर बाई ओर हाथ के पास रखें। गर्दन को विपरीत दिशा में मोड़ते हुए दाइ ओर देखें कुछ समय पैरों को सीधा कीजिए।
५. इसी तरह दोनों पैरों को उठा कर दाई ओर हाथ के पास रखें। गर्दन को बाई ओर मोड़ते हुए बाई और देखें। इस प्रकार ३-५ बार करें।
लाभ : कमरदर्द,सर्वाइकल(Cervical), स्पोंडोलाइटिस,स्लिपडिस्क(SLEEPDISC),सियाटिका(SIYATIKA) में विशेष लाभकारी हैं। पेटदर्द(Abdominal pain),दस्त(diarrhea),कब्ज(constipation) एवं गैस को दूर करता है। नितम्ब(hip), जोड़ो(joint) के दर्द में लाभकारी है।
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