पुरुषो ओर महिलाओं दोनों में कामेच्छा में कमी,तनाव और चिंता, स्तंभन दोष और पुरूषों में शीघ्रपतन की किसी भी तरह-तरह की यौन समस्याओं से संभोग करने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है। जहा महिलाओ में कुछ संकीर्ण योन से पीड़ित हो सकता है।
योग, पुरुषों और महिलाओं दोनों में उचित यौन प्रदशन को बनाए रखने के लिए बहुत उपयोगी हे और कामेच्छा बढ़ाने के लिए उचित श्रेणी शक्ति देता है।
आमतौर पर मनोवैज्ञानिक संबंधित समस्याओ को अच्छी तरह से योग और प्राणायाम से दूर किया जा सकती है।
यह सभी योग-प्राणायाम नियमित रूप से किया जा सकता है।
धनुरासन,सर्वांगासन,हलासन ,सुर्यनमष्कार ये सभी उपयोगी आसन है उसके साथ प्राणायाम जैसे अनोलोम-विलोम ,भ्रामणिप्राणायाम ,मुला बन्दास उपयोगी है।
धनुरासन,सर्वांगासन,हलासन ,सुर्यनमष्कार ये सभी उपयोगी आसन है उसके साथ प्राणायाम जैसे अनोलोम-विलोम ,भ्रामणिप्राणायाम ,मुला बन्दास उपयोगी है।
यह सभी योग-प्राणायाम नियमित रूप से किया जा सकता है।
धनुरासन (Dhanurasan)
विधिः
१. पेट के बल लेट जाइए। घुटनों से पैरों को मोड़ कर एड़ियां नितम्ब के ऊपर रखें। घुटने एवं पंजे आपस में मिले हुए हों।
२. दोनों हाथों से पैरों के पास से पकड़िये।
३. श्वास को अन्दर भरकर घुटनों एवं जंघावो को एक के बाद एक उठाते हुये ऊपर की ऑर तने , हाथ सीधे रहें। पिछले हिस्से को उठाने के बाद पेट के ऊपरी भाग छाती,ग्रीवा एवं सर को भी ऊपर उठाइए। नाभि एवं पेट के आसपास का भाग भूमि पर ही टिके रहे। शेष भाग ऊपर उठा होना चाहिए। शरीर की आकृति धनुष के समान हो जाएगी। इस स्थिति में १० से २५ सेकंड तक रहें।
४. श्वास छोड़ते हुए क्रमशः पूर्व स्थिति में आ जाइए। श्वास-पश्वास के सामान्य होने पर ३ - ४ बार करे।
लाभ:
नाभि का टलना दूर होता है। स्त्रियों की मासिक धर्म(menstrual) सम्बन्धी रोग में लाभ मिलता है।कमरदर्द,सर्वाइकल(Cervical), स्पोंडोलाइटिस,स्लिपडिस्क(SLEEPDISC) समस्त मेरुदण्ड(Spine) के रोगो में ये आसन लाभकारी है।
हलासन(Halasan)
विधि:
१. पीठ के बल लेट जायें,अब श्वास अंदर भरते हुए धीरे से पैरो को उठाये। पहले ३०,६० डिग्री फिर ९० डिग्री तक उठाने के बाद पैरो को सीर के पीछे की और पीठ को भी ऊपर उठाते हुए श्वास को बहार निकालते हुए ले जाये।
२. पैरो को सर के पीछे भूमि पर टिका दें। प्रारम्भ में हाथो को कमर के पीछे लगा दे। पूरी स्थिति में हाथ भूमि पर ही रखे,इस स्थिति में ३० सेकंड रखे।
३. वापस जिस क्रम से ऊपर आए थे उसी क्रम से भूमि को हथेलियों को दबाते हुए पैरो को घुटनो से सीधा रखते हुए भूमि प्रर रखे।
लाभ :
१. थाइराइड ग्रंथि को चुस्त और मोटापा,दुर्बलता आदि को दूर करता है।
२. मेरुदण्ड को स्वस्थ,लचीला बना कर पृष्ठ भाग की मास पेशियों को निरोगी बनता है।
३. गैस, कब्ज,डायबिटीस,यकृत-वृद्धि एवं हदय रोग में लाभकारी है।
सावधानियाँ :
उच्च रक्तचाप,स्लिपडिस्क,सर्वाइकल, टी.बि. आदि मेरुदण्ड के रोगी इस आसान को ना करे।
सर्वांगासन(Sarvangasan)
१. पीठ के बल सीधा लेट जाये। पैर जोड़ के रखे,हाथो को दोनों और बगल में सटाकर हथेलियाँ जमीं की ओर करके रखे.
२. स्वास अंदर भरकर पैरो को धीरे धीरे ३० डिग्री , फिर ६० डिग्री और अंत में ९० डिग्री तक उठाए।पैरो को उठाते समय हाथो का सहारा ले। यदि पैर सीधा न हो तो हाथो को उठाकर कमर के पीछे रखे। पैरो को सीधा मिलाकर रखे और कोहनियाँ भूमि पर टिकी हुए रखे। आँखे बंद एवं पंजे ऊपर तने हुए रखे। धीरे -धीरे ये आसान २ मिनिट से शरू करके आधे घंटे तक करने कोशिश करे।
३. वापस आते समय जिस क्रम से उठे थे उसी क्रम से धीरे धीरे वापस आये। जितने समय तक सर्वांगासन किया जाये उतने ही समय शवाशन में विश्राम करे।
लाभ :
१. मोटापा ,दुर्बलता,कदवृद्धि में लाभ मिलते है ,एवं थकान आदि विकार दूर होते है।
२. इस आसन से थाइरोड को सक्रीय एवं पिच्युरेटी ग्लैड के क्रियाशील होने से यह कद वृद्धि में उपयोगी है।
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