Saturday, April 25, 2015

मयूर आसन (Mayur Asan)

विधिः 

१. दोनों हाथों को सामने मिलाकर अँगुलियों को पीछे की और करके पहले घुटनों के बल बैठें। 
२. श्वास अंदर भरकर कोहनियों को नाभि के दोनों और लगाते हुए पैरों को धीरे-धीरे पीछे की ओर सीधा कर दें। पुरे शरीर का भार कोहनियों पर रहेगा।  पूर्ण स्थिति में सिर एवं पैर समांतर उठे हुए होंगे।





लाभ :मधुमेह के रोगियों के लिए लभकरी है। कबज को दूर करता है। जठराग्नि को प्रदीप्त करता है। 
                                                                                      

Saturday, April 11, 2015

गोमुखासन(Gomukhasana)




विधि:
 १.     दण्डासन में बैठकर बाएँ पैर को मोड़कर एड़ी को दाएँ नितम्ब के पास रखें अथवा एड़ी पर बैठ भी सकते हैं। 

२.     दाएँ पैर को मोड़कर बायें पैर के ऊपर इस प्रकार रखें की दोनों घुटने एक दूसरे से स्पर्श करते हुए हों। 

३.     दायें हाथ को ऊपर पीठ की और मोड़िए तथा बाएं हाथ को पीठ के पीछे से लेकर दायें हाथ को पकड़िए। गर्दन एवं कमर सीधी रखें। 

४.     एक और करने के बाद विश्राम करके दूसरी ऑर इसी प्रकार करें। 




लाभ: 

            धातु रोग,बहुमूत्र एवं स्त्री रोग में लाभदायी है। अंडकोषवृद्धि एवं आंत्रवृद्धि  तथा

यकृत,गुर्दे  वक्षस्थल को बल देता है। संधिवात एवं गठिया को दूर करता है। 

Wednesday, April 8, 2015

मर्जरासना (Marjrasana)

मर्जरासना (Marjrasana)
(cowpose-catpose)

विधिः 
१.      दोनों हाथों की हथेलियों एवं घुटनों को भूमि पर टिकाते हुए स्थिति लीजिये। 




      




२.      अब श्वास अन्दर भरकर छाती और सिर को ऊपर उठाये ,कमर निचे की ओर झुकी हुई हो। थोड़ी देर इस स्थिति में रहकर श्वास बाहर छोड़ते हुए पीठ को ऊपर उठाये तथा सर को निचे झुकायें। 



 लाभ:
       गर्दन के दर्द में राहत मिलती है और कटी पीड़ा ओर गैस ,कब्ज एवं फेफड़ो को मजबूत करता है और गर्भाशय को बाहर निकलने जैसो रोगो को दूर करता है। 

Sunday, April 5, 2015

अपनी उम्र को बढ़ाने ओर श्वासोछ्वास की मात्रा को घटाने के लिए करिये..धारणा शक्ति मुद्रा (Dharna Shakti Mudra)

विधिः 

यह मुद्रा श्वास को अधिक समय तक फेफड़ो में रोकनेवाली मुद्रा है। जब पूरक करे तब अंगूठे को ऊपर वाले भाग १ अंगुली से दबाएं इससे आंतरिक कुम्भक ज्यादा समय तक होगा।अंगूठे के मध्य भाग में यदि इस प्रकार दबाव दिया जाये तो कुम्भक और  अधिक समय तक कर सकेंगे। अंगूठे के आखरी भाग में यानि के मूल भाग में यदि इस तरह दबाव दिया जाये तो श्वास को बहुत अधिक तक भीतर सरलता से रोका जा सकता है। 




लाभ: फेफड़ो में ज्यादा समय तक श्वास रोकने से प्राण वायु अधिक मात्रा में मिलता है और शरीर को अधिक बल मिलता है और श्वासोछ्वास की मात्रा को घटाया जा सकता है,जिससे उम्र में इजाफा होता है।  





Friday, April 3, 2015

पानी पिने का तरीका (Water Therapy)

हमारे शरीर और स्वास्थ्य के लिए पानी पीना बहुत जरुरी है। लेकिन पानी कब पीना और कब नहीं पीना, इसके लिए कुछ नियम है। जो हम आपको इसके तरीके बता रहे है। 

१. सुबह टहलने के बाद पानी पीना चाहिए। आंतरिक अंगों को सक्रिय करता है। 
२. खाने के ३० मिनिट पेहले पानी पीना जरुरी है। 
३. खाने के तुरंत बाद पानी  कभी न पिए। 
४. हमेंशा पानी के बड़े घूंट आहिस्ता से ले। 
५. पानी का संग्रह सीधे पात्र(TUMBLERS) में ना करें गोलाकार पात्र में (ROUND SHAPE) करें। 
६. स्नान से पहले पानी पियें (Lower Blood Pressure)
७. दिल के दोरे से बचने के लिए  सोने से पहले पानी पियें।