Saturday, April 25, 2015

मयूर आसन (Mayur Asan)

विधिः 

१. दोनों हाथों को सामने मिलाकर अँगुलियों को पीछे की और करके पहले घुटनों के बल बैठें। 
२. श्वास अंदर भरकर कोहनियों को नाभि के दोनों और लगाते हुए पैरों को धीरे-धीरे पीछे की ओर सीधा कर दें। पुरे शरीर का भार कोहनियों पर रहेगा।  पूर्ण स्थिति में सिर एवं पैर समांतर उठे हुए होंगे।





लाभ :मधुमेह के रोगियों के लिए लभकरी है। कबज को दूर करता है। जठराग्नि को प्रदीप्त करता है। 
                                                                                      

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